कद्दुवर्गीय फसलों में लाल मकड़ी का प्रबंधन:-
पहचान:-
- लाल मकड़ी 1 मिमी. लम्बी होती है जिन्हे नग्न आँखों व्दारा आसानी से नहीं देखा जा सकता है|
- लाल मकड़ी पत्तियों की निचली सतह में समूह बनाकर रहती है|
- लाल मकड़ी एक कालोनी के समूह में 100 तक की संख्या में रहती है|
- इनके अंडे गोल पारदर्शक, हल्के पीले सफ़ेद रंग के होते है|
- वयस्क के आठ पर होते है जो मकड़ी के शरीर के ऊपर गहरे छालेनुमा आकृति होती है| सिर पर दो लाल रंग के नेत्र बिंदु होते है|
- मादा आकार में नर से बड़ी होती है एवं शरीर के ऊपर गहरे छालेनुमा आकृति होती है| शरीर कठोर आवरण से ढका होता है|
- अंडे से निकले हुए लार्वा में केवल छ: पैर होते है|
हानि:-
- लार्वा शिशु एवं वयस्क पत्तियों को निचली सतह को फाड़कर खाते है|
- शिशु एवं वयस्क दोनों पत्तियों व लताओं के कोशिका रस को चूसते है, जिसके पत्तियों व लताओं पर सफ़ेद रंग धब्बे विकसित हो जाते है|
- अत्यधिक संक्रमण की अवस्था में पत्तियों की निचली सतह पर जालनुमा संरचना तैयार करके उन्है हानि पहुचाती है|
नियंत्रण:-
- सुबह सूर्य निकलने के पहले पत्तियों के निचली सतह पर नीम तेल का छिड़काव करें|
- प्रोपारजाईट 57% EC को 3 मिली प्रति लीटर पानी के अनुसार 7 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें|
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