भारत सरकार की अनुवांशिक अभियांत्रिकी अनुमोदन समिति (जी. ई.ए.सी.) की अनुशंसा के अनुसार कुल बी.टी. क्षेत्र का 20 प्रतिशत अथवा 5 कतारें मुख्य फसल के चारों उसी किस्म का नॉन बी.टी. वाला बीज (रिफ्यूजिया) लगाना अत्यंत आवश्यक है।
प्रत्येक बी.टी. किस्म के साथ उसका नान बी.टी. (120 ग्राम बीज) या अरहर का बीज उसी पैकेट के साथ आता है।
बी.टी. किस्म के पौधों में बेसिलस थुरेनजेसिस नामक जीवाणु का जीन समाहित रहता जो कि एक विषैला प्रोटीन उत्पन्न करता हैं। इस कारण इनमें डेन्डू छेदक (बॉल वर्म) कीटों से बचाव की क्षमता विकसित होती हैं।
रिफ्यूजिया कतार लगाने पर डेन्डू छेदक कीटों का प्रकोप उन तक ही सीमित रहता हैं और यहाँ उनका नियंत्रण आसान होता हैं।
यदि रिफ्यूजिया नहीं लगाते तो डेन्डू छेदक कीटों में प्रतिरोधकता विकसित हो सकती हैं ऐसी स्थिति में बीटी किस्मों की सार्थकता नहीं रह जाएगी।