पशु को सांस लेने में कठिनाई होना, पशु का पेट अधिक फूल जाना, ज़मीन पर लेट कर पाँव पटकना,पशु का जुगाली नही करना, चारा-पानी बंद कर देना, नाड़ी की गति तेज हो जाना किन्तु तापमान सामान्य रहना आदि आफरे के प्रमुख लक्षण है।
आफरा का असर बढ़ने पर पशु की हालत गंभीर हो जाती है और कभी-कभी मृत्यु भी हो जाती है।
बरसीम, जई और दूसरे रसदार हरे चारे, विशेषकर जब यह गीले होते है तब पशु द्वारा खाया जाना आफरे का कारण बनते है।
गेहूं, मक्का जैसे अनाज ज्यादा मात्रा में खाने से भी आफरा हो जाता है क्योंकि इनमें स्टार्च की मात्रा अधिक होती है।
बरसात के दिनों में कच्चा चारा अधिक मात्रा में खा लेना, गर्मी के दिनों में उचित तापमान न मिलना, पाचन क्रिया गड़बड़ाना, अपच हो जाना, पशु को खाने के तुरन्त बाद खूब सारा पानी पिलाने आदि से भी आफरा हो जाता है।