मूंग की फसल में खरपतवार प्रबंधन कैसे करें?

मूंग में खरपतवार प्रबंधन एक महत्वपूर्ण क्रिया है जिसके ना करने से उपज में भारी कमी आती है। ये खरपतवार फसल के पोषक तत्व, नमी, प्रकाश, स्थान आदि के लिए प्रतिस्पर्धा करके फसल की वृद्धि, उपज एवं गुणों में कमी कर देते है। खरपतवारों से हुई हानि किसी अन्य कारणों से जैसे कीड़े, मकोड़े, रोग, व्याधि आदि से हुई हानि की अपेक्षा अधिक होती है। खरपतवार की रोकथाम में ध्यान देने योग्य बात यह है कि खरपतवारों का नियंत्रण सही समय पर करें। खरपतवारों की रोकथाम निम्नलिखित तरीकों से की जाती है- 

निवारण विधि- इस विधि में वे सभी क्रियाएँ शामिल है जिनके द्वारा खेतों में खरपतवारों के प्रवेश को रोका जा सकता है जैसे प्रमाणित बीजों का प्रयोग, अच्छी सड़ी गोबर एवं कम्पोस्ट खाद का प्रयोग, सिंचाई की नालियों की सफाई, खेत की तैयारी एवं बुआई के प्रयोग में किये जाने वाले यंत्रों का प्रयोग से पूर्व अच्छी तरह से साफ़-सफाई इत्यादि।

यांत्रिक विधि- खरपतवारों पर नियंत्रण करने की यह एक सरल तथा प्रभावी विधि है। फसल की शुरूआती अवस्था में बुआई के 15 से 45 दिन के मध्य फ़सलों को खरपतवारों से मुक्त रखना जरूरी है। सामान्यत: दो निराई-गुड़ाई, पहली 15-20 व दूसरी 30-35 दिनों के भीतर करने से खरपतवारों का नियंत्रण प्रभावी ढंग से होता है। किंतु इसमें अधिक सावधानी रखनी चाहिए अन्यथा पौधे की जड़ों को काफी हानि हो जाती है साथ ही साथ मजदुरी एवं समय भी अधिक लगता है।  

रासायनिक विधि- खरपतवारनाशी (चारामार) के माध्यम से भी खरपतवारों को सफलता पूर्वक नियंत्रित किया जा सकता है। यह विधि समय बचत के साथ साथ प्रति हेक्टेयर लागत में भी कमी लाती है। लेकिन इन रसायनों का प्रयोग करते समय सावधानी बरतनी पड़ती है। खरपतवारनाशी की उपयुक्त मात्रा, उसका समय, उसका प्रकार, फसल आदि तथ्यों को जानकर ही इन खरपतवारनाशियों का प्रयोग करना चाहिए। खरपतवारनाशी जैसे पेंडीमेथालिन (स्टोम्प एक्सट्रा) 700 मिली बुआई के 72 घंटों के भीतर प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर साफ पानी में मिलाकर उपयोग करें। मूंग की खड़ी फसल में संकरी पत्ती वाले खरपतवार 2-4 पत्ती अवस्था में हो तब क्युजालोफोप ईथाइल 5 ईसी (टरगा सुपर) या प्रोपाक्युजालोफोप 10 ईसी (एजिल) 300 मिली प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर साफ पानी के साथ उपयोग करें।

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