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मिट्टी परीक्षण कराने से, मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों के साथ, लवणों की मात्रा की भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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परीक्षण के बाद मिट्टी में जिन पोषक तत्वों की कमी हो उनकी पूर्ति की जा सकती है।
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मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों के अनुसार फसलों का चयन कर अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
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मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाई जा सकती है।
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मिट्टी जांच से मिट्टी के पी.एच स्तर की जानकारी मिलती है।
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मिट्टी जांच से मिट्टी में पाए जाने बाले 12 प्रकार के पोषक तत्व की जानकारी मिलती है और खेती में लगने वाले खर्च को कम किया जा सकता है।
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मिट्टी परीक्षण, हर 3 साल में एक बार अवश्य करवाना चाहिए।
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इससे फसल में लगने वाले उर्वरक या खाद की सही मात्रा तय हो जाती है। किसान अपनी फसल में उर्वरकों का अच्छा प्रबंधन करके अतिरिक्त लागत को कम कर सकते हैं।
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