कई प्रकार से होती है मल्चिंग वाली खेती, जानें इसके लाभ

प्लास्टिक मल्चिंग दरअसल प्लास्टिक फिल्म के साथ पौधों के चारों ओर की मिट्टी को व्यवस्थित रूप से ढकने की प्रक्रिया है। आइये जानते हैं इस विधि से खेती करने से क्या लाभ आपको मिलते हैं।

प्लास्टिक मल्चिंग के लाभ:

  • प्लास्टिक मल्चिंग से मिट्टी में नमी लंबे समय तक बनी रहती है और इसके कारण पानी की भी बचत होती है।

  • मल्चिंग से मिट्टी के तापमान को नियंत्रित रखने में भी मदद मिलती है।

  • इससे फसल में खरतपवार उगने की संभावना कम होती है और जड़ विकास तेजी से होता है।

  • इससे फसलों को पाले से बचाने में भी मदद मिलती है।

  • इससे मिट्टी का कटाव नहीं होता, साथ ही यह मिट्टी को भुरभुरा एवं मुलायम बनाए रखने में भी मदद करता है।

  • इससे उत्पादन में वृद्धि होती है, साथ ही उपज की गुणवत्ता में सुधार होता है।

प्लास्टिक मल्चिंग के प्रकार:

  • काली मल्चिंग: यह मल्चिंग अधिकतर बागवानी फसलों में खरपतवार नियंत्रण के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसके काले रंग के कारण सूर्य का प्रकाश मिट्टी में प्रवेश नहीं करता जिससे खरपतवारों का प्रकाश संश्लेषण नहीं हो पाता है तथा उनकी वृद्धि मल्च के नीचे ही रुक जाती है।

  • नीली मल्चिंग: नीले रंग की मल्च फसलों में माहु तथा थ्रिप्स के प्रकोप को कम करता है। इसके इस्तेमाल से कद्दूवर्गीय फसलों में फलों की अधिक संख्या प्राप्त होती है।

  • पारदर्शी मल्चिंग: इस प्रकार के मल्चिंग का उपयोग अधिकतर मिट्टी में सौर उपचार के लिए किया जाता है। साथ ही सर्दियों के मौसम में सब्जियों की खेती के लिए इसका उपयोग  किया जा सकता है।

प्लास्टिक मल्चिंग की मोटाई: मल्च फिल्म की मोटाई फसल के प्रकार एवं उम्र के अनुसार निश्चित किया जाता है। मल्च की मोटाई फसल के जीवन चक्र को पूरा करने वाली होनी चाहिए। अधिकतर सब्जी वाली फसलों में पलवार की मोटाई 25 माइक्रोन और फल वाली फसलों में 100 माइक्रोन की होनी चाहिए।

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