जानिए, गेहूं की बम्पर पैदावार प्राप्त करने का बढ़िया तरीका

गेहूं की उन्नत पैदावार के लिये बलुई दोमट, अच्छी उर्वरा व जलधारण क्षमतायुक्त मिट्टी वाले सिंचित क्षेत्र उपयुक्त है, इसलिए किसानों को अधिक उपज और आय में वृद्धि हेतु वैज्ञानिक विधि से खेती करने की आवश्यकता है। यदि आप गेहूं की खेती की विस्तार पूर्वक जानकारी चाहते हैं तो ग्रामोफोन के टोल फ्री नंबर, 1800-315-7566 “मध्यप्रदेश”,  1800-315-7075 “छत्तीसगढ़” , 1800-315-7477 “ राजस्थान”  पर संपर्क करें और कृषि एक्सपर्ट की सलाह के माध्यम से बिना किसी मुश्किल के खेती करें। 

बीज उपचार 

  • गेहूं की बुवाई से पहले बीज को स्प्रिंट (कार्बेन्डाजिम 25%+ मैंकोजेब 50% डब्ल्यूएस) @ 3 ग्राम प्रति किग्रा, बीज के हिसाब से उपचार करें। इससे फसल को फफूंद जनित रोग से बचाया जा सकता है। 

  • इसके बाद, थियानोवा सुपर (थियामेथोक्सम 30% एफएस) @ 3.3 मिली प्रति किग्रा, बीज के हिसाब से उपचार करें। इससे बीज और पौधों को चूसने, चबाने और मिट्टी के कीटों से बचाया जा सकता है। 

पोषक तत्व प्रबंधन 

यूरिया 20 किलो + डीएपी @ 50 किलो +  एमओपी 25 किलो +गेहूं न्यू समृद्धि किट टीबी 3 (नाइट्रोजन स्थिरीकरण, फास्फेट घुलनशील, और पोटेशियम गतिशील  जैव उर्वरक संघ) @ 3 किग्रा + ट्राई-कॉट मैक्स (जैविक कार्बन 3%, ह्यूमिक, फुल्विक, जैविक पोषक तत्वों का एक मिश्रण) @ 4 किग्रा + ताबा जी (जिंक घुलनशील बैक्टीरिया) @ 4 किलो, को आपस में मिलाकर, प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में समान रूप से भुरकाव करें। 

सिंचाई 

मिट्टी के प्रकार और वर्षा के आधार पर गेहूं की फसल को कम से कम 5 सिंचाई की आवश्यकता होती है। बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें, तथा बुवाई के 21-25 दिन बाद, बुवाई के 40-45 दिन बाद, पुष्पन अवस्था : 60-65 दिन बाद, दाने भरने की अवस्था : 80-85 दिन बाद अंतिम सिंचाई करें। 

कीट नियंत्रण 

दीमक की नियंत्रण करने के लिए, फैक्स (फिप्रोनिल 00.30% जीआर) @ 8 किग्रा प्रति एकड़, के हिसाब से भुरकाव करें। और हलकी सिंचाई करें। 

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