भूरा पौध फुदका या माहू :-
यह छोटे आकार एवं भूरे रंग की कीट होते हैं, इसके शिशु और वयस्क दोनों ही धान को नुकसान पहुंचाते हैं। जो मुख्य रूप से जल स्तर से ऊपर पौधों के जड़ के पास आधार पर चिपके हुए दिखाई देते हैं। शिशु और प्रौढ़ कीट पौधों का रस चूसकर कमजोर कर देते हैं। अत्यधिक प्रकोप की स्थिति में खेतों में कई हिस्से सूखे नज़र आते हैं, इसे हॉपर बर्न कहते हैं।
नियंत्रण के उपाय
इसके नियंत्रण के लिए थियानोवा 75 (थियामेथोक्सम 75% एसजी) @ 60 ग्राम या तापूज (बुप्रोफेज़िन 15% + एसीफेट 35% डब्ल्यूपी) @ 500 ग्राम + सिलिको मैक्स @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
हिस्पा :-
इस कीट के व्यस्क भृंग नीले काले रंग के होते हैं, जिनके ऊपर छोटे छोटे कांटे होते है। इसके व्यस्क पत्तियों को कुरेद कर खाना शुरू कर देते हैं। इससे पत्तियों पर लम्बी सफ़ेद धारिया बन जाती हैं। हिस्पा का अधिक प्रकोप अगस्त व सितम्बर माह में होता है। रोपाई के बाद से ही इस कीट के प्रकोप से पौधे मुरझा कर मर जाते हैं।
नियंत्रण के उपाय
इसके नियंत्रण के लिए सेलक्विन (क्विनालफोस 25% ईसी) @ 600 मिली या धनवान 20 (क्लोरोपायरीफॉस 20% ईसी) @ 500 मिली + सिलिको मैक्स @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
जैविक नियंत्रण के लिए, ब्रिगेड बी (बवेरिया बेसियाना 1.15% डब्ल्यूबी) @ 1 किग्रा/एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
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