फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिए खेतों में अंधाधुंध रासायनिक खादों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस वजह से मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की कमी बढ़ती जा रही है। इसके अलावा इन उत्पादों में पोषक तत्वों की भी कमी पाई जाती है। इन कारणों के चलते केंद्र सरकार और राज्य सरकारें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। प्राकृतिक खेती करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ने के साथ ही पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।
हालांकि किसानों को प्राकृतिक खेती से उत्पादन कम होने का डर हमेशा बना रहता है। किसानों के इस डर को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार एक लाभकारी योजना चला रही है। इसके तहत जिन किसानों ने अपनी 1.27 लाख हेक्टेयर जमीन पर प्राकृतिक खेती करने का फैसला किया है, उन्हें सरकार 12200 रूपए प्रति हेक्टेयर की दर से आर्थिक मदद प्रदान करेगी।
इसी कड़ी में राज्य में नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रेदश सरकार कई प्रयास कर रही है। सरकार के इन प्रयासों के चलते राज्य में करीब 17 लाख हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती की जा रही है। इसके माध्यम से आठ लाख किसान जुड़े हुए हैं। इसके अलावा राज्य सरकार गौ पालन के लिए 900 रूपए प्रतिमाह भी दे रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को लाभ प्राप्त हो सके।
स्रोत: टीवी9 भारतवर्ष
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