बदलते मौसम में रोग और कीटों से कैसे बचाएं अपनी फसल

  • इस महीने कहीं पर बारिश तो कहीं कोहरे की वजह से तापमान में उतार चढ़ाव होता रहा है, जिसके कारण फसलों पर रोगों एवं कीटों का खतरा बढ़ जाता है, जो कि उपज की गुणवत्ता के लिए हानिकारक है। ऐसे में अगर किसान कुछ बातों का ध्यान रखें तो नुकसान से बच सकते हैं।

  • मौसम में होते बदलाव में सरसों की फसल में माहू कीट का खतरा अक्सर बढ़ जाता है, इसकी रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड 30.5% एससी @ 50 मिली या फ्लोनिकामिड 50% डब्ल्यूजी @ 60 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 

  • चने में फली छेदक इल्ली के नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी @ 100 ग्राम या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5 % एससी @ 60 मिली/एकड़ की दर से  छिड़काव करें। इसके साथ फेरोमोन ट्रैप 10 नग प्रति एकड़ खेतों में स्थापित करें। 

  • गोभी वर्गीय फसलों में इस मौसम में, डायमंड बैक मॉथ (हीरक प्रष्ट फुदका) कीट के प्रकोप की सम्भावना अधिक रहती है। ऐसे में फसल की निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप 10 नग प्रति एकड़ की दर से खेतों में लगाएं। रासायनिक नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी @ 100 ग्राम या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% एससी @ 60 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। 

  • गेहूँ में इस समय कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% डब्ल्यूपी @ 300 ग्राम या हेक्साकोनाज़ोल 5% एससी @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करने से अनावृत्त कंडवा रोग एवं अन्य फफूंदी जनित रोगों से फसल को बचाया जा सकता है।

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