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किसान भाइयों जनवरी माह के दूसरे पखवाड़े में अधिकत्तर फसलें अपनी क्रांतिक बढ़वार की अवस्था में होती हैं।
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इस समय फसलों में सिंचाई से लेकर पौध संरक्षण तक विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। साथ ही तापमान में तीव्र गिरावट होने से कोहरे, पाले एवं बारिश की संभावना रहती है। फसलों को इन कुप्रभावों से बचाने के लिए तथा भरपूर उत्पादन प्राप्त करने के लिए निम्न उन्नत सस्य क्रियाओं को अपना सकते है –
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इस समय रबी की सबसे प्रमुख फसल गेहूं कहीं कल्ले निकलने की अवस्था में है तो कहीं गांठे बनने वाली बनने की अवस्था पर है। इन दोनों ही अवस्थाओं में सिंचाई करना बेहद जरूरी है।
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चने में फली बनते समय इल्ली एवं फफूंदी जनित रोगों का प्रकोप अधिक होने की सम्भावना रहती है l इसके प्रबंधन के लिए हेक्साकोनाज़ोल 5% एससी @ 400 मिली + इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी @ 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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आलू में कंदो का आकार बढ़ाने के लिए आलू खुदाई के 10-15 दिन पहले 00:00:50 @ 1 किलोग्राम एवं इसके साथ पिक्लोबूट्राज़ोल 40% एससी @ 30 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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कद्दू वर्गीय फसलों में डाउनी मिल्ड्यू के प्रबंधन के लिए एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 11% + टेबुकनाज़ोल 18.3% एससी @ 300 मिली प्रति एकड़ छिड़काव करें।
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तरबूज एक ऐसा फल जिसे गर्मियों के मौसम में लगाया जाता है, लेकिन तरबूज की बुवाई या नर्सरी तैयार करने के लिए जनवरी माह सर्वोत्तम माना गया है
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बरसीम, रिजका व जई की हर कटाई के बाद सिंचाई करते रहें इससे बढ़वार अच्छी होती है।
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