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मटर की फसल अक्टूबर-नवंबर में लगाई जाने वाली प्रमुख फसल है। इसका प्रयोग हरी अवस्था में फलियों के रूप में सब्जी के लिए तथा सूखे दानों का प्रयोग दाल के लिए किया जाता है।
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मटर बेहद पौस्टिक होती है और इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा इसमें खनिज पदार्थ भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
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मटर में बुवाई के 8-15 दिन बाद फसल की वानस्पतिक वृद्धि एवं कीट व कवक जनित रोगों से बचाव के लिए निम्न छिड़काव आवश्यक हैं।
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कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% @ 300 ग्राम + ऐसिटामिप्रिड 20% एसपी 100 ग्राम + समुद्री शैवाल 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। इसके साथ सिलिकॉन आधारित स्टिकर/स्प्रेडर 5 मिली प्रति टैंक के हिसाब से भी मिला सकते हैं।
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जैविक नियंत्रण के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें।
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