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इस बीमारी के लक्षण सर्वप्रथम घनी बोई गयी फसल में, पौधे के निचले हिस्सों दिखाई देते हैं। इसके कारन रोगग्रस्त पौधे पर पर्णदाग, पत्ती झुलसन अथवा पत्तियों के गिरने आदि के लक्षण नजर आते हैं।
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पत्तियों पर असामान्य गीले धब्बे दिखाई देते हैं, जो की बाद में भूरे या काले रंग में परिवर्तित हो जाते हैं एवं संपूर्ण पत्ती झुलस जाती है।
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पर्णवृंत, तना, फली पर भी भूरे धब्बे दिखाई देते हैं। फली एवं तने के ऊतक संक्रमण पश्चात भूरे अथवा काले रंग के होकर सिकुड़ जाते हैं।
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पौधों के रोगग्रस्त भागों पर नमी की उपस्थिति में, सफेद और भूरे रंग की संरचनाए दिखाई देती है।
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इस रोग के निवारण के लिए क्लोरोथियोनिल @ 400 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाज़िन 12% + मैनकोज़ब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कीटाजीन@ 200 मिली/एकड़ दर छिड़काव करें।
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जैविक उत्पाद के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी 250 ग्राम/एकड़ + स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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