फसल चाहे कोई भी हो खरपतवार की अधिकता से पैदावार में कमी आ ही जाती है। अन्य सभी फसलों की तरह मक्के की फसल में भी खरपतवारों के कारण पैदावार में भारी कमी आती है। समय रहते खरपतवारों पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है। अगर आप मक्के की खेती कर रहे हैं तो आपके खेत में भी कई तरह के खरपतवार हो सकते हैं।
मक्का की फसल में खरपतवार प्रबंधन की यांत्रिक विधि: मक्का की खेती में निदाई और गुड़ाई की खास भूमिका है। इससे खरपतवार को अच्छी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए मक्का की खेती करने वाले किसान को, मक्का में 2 से 3 बार निदाई और गुड़ाई करना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि गुड़ाई कभी भी 4 से 5 सेमी से ज्यादा गहरी न करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि अगर गहरी गुड़ाई करते हैं तो इससे फसल की जड़ को नुकसान पहुँचती है या इससे जड़ें कट भी सकती हैं। पहली निदाई, बुवाई के 15 दिन बाद करें और दूसरी निदाई लगभग 40 दिन बाद करें।
1 -3 दिनों में खरपतवार नियंत्रण: बुवाई के दूसरे या तीसरे दिन, अंकुरण से पूर्व खरपतवारनाशी का प्रयोग करने से खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। मक्का में उगने वाले खरपतवार, सामन्यतः वार्षिक घास एवं सकरी एवं चौड़ी पत्तियों वाली खरपतवार होती है।
मक्का में निम्न खरपतवारनाशकों का उपयोग किया जा सकता है
पेंडीमेथलीन 38.7 @ 700 मिली/एकड़(1 से 3 दिनों बाद) की दर से छिड़काव करें या एट्राजिन 50% WP @ 500 ग्राम/एकड़ (3 से 5 दिनों बाद) छिड़काव करें। यदि दलहनी फसलों को मक्का में मध्यवर्ती फसलों के रूप में उगाया जाता है तो एट्राजीन का उपयोग न करें। इसके स्थान पर पेंडीमेथलीन का ही उपयोग करें।
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