सोयबीन की बुआई के 15-20 दिनों में रोग व कीटों से बचाव हेतु जरूर अपनाएं ये प्रबंधन उपाय

  • सोयाबीन की बुआई के बाद 15-20 दिनों की अवस्था में छिड़काव करना बहुत आवश्यक होता है।

  • इस छिड़काव के कारण तना गलन, जड़ गलन जैसे रोगों का सोयाबीन की फसल में आक्रमण नहीं होता है।

  • यह छिड़काव सोयाबीन की फसल में लगने वाले कीटों से सुरक्षा के लिए बहुत मददगार साबित होता है।

  • इस अवस्था में सोयाबीन की फसल में गर्डल बीटल एवं चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए लैंबडा-साइफलोथ्रिन 4.9% CS @ 200 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफॉस 50% SC @ 500 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • सोयाबीन की इस अवस्था में, तना गलन, जड़ गलन एवं पत्ती झुलसा जैसे रोगों के नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • सोयाबीन की फसल में अधिक नमी, कीट एवं रोग के प्रकोप के कारण फसल का विकास ठीक से नहीं होता है। सोयाबीन की फसल की अच्छी वृद्धि के लिए समुद्री शैवाल @ 400 ग्राम/एकड़ या एमिनो एसिड@ 250 मिली/एकड़ या जिब्रेलिक एसिड 0.001%@ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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