भूमि की तैयारी:-
👉🏻🥔आलू रबी मौसम की प्रमुख नकदी फसल है।
👉🏻मिट्टी के प्रकार के अनुसार खेत की 3-4 बार जुताई करें। सामान्यतः पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें। दूसरी और तीसरी जुताई देशी हल या हैरो से करें। यदि खेती में धेले हो तो प्रत्येक जुताई के बाद पाटा चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें और खेत को समतल कर लें, इससे आलू के कंदो के विकास में आसानी होती है।
👉🏻🥔बुवाई से पहले मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखें। रोपण के लिए, दो विधियों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है- 1. नालियों एवं मेड़ों पर लगाने की विधि 2. समतल क्यारी विधि।
👉🏻🥔बुवाई करते समय कंदों की दूरी कंदों के आकार पर निर्भर करती है। यदि कंद का व्यास 2.5-3.5 सेमी है, तो कंदों को 60 x 15 सेमी की दूरी पर लगाना चाहिए। जैसे कि कंद का व्यास 5-6 सेमी है, 60 x 40 सेमी की दूरी पर लगाना चाहिए।
👉🏻🥔तैयार खेतों में 6-8 इंच गहरा गड्ढा खोदकर आलू के टुकड़े ऊपर की ओर करके लगाएं।
कंद उपचार
👉🏻जैविक बीज उपचार के लिए कॉम्बैट (ट्राईकोडर्मा विरिडी 1.0% डब्ल्यूपी) @ 5 ग्राम या मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 1.0% डब्ल्यूपी) @ @ 5 ग्राम / किग्रा बीज के हिसाब से उपचार करे।
👉🏻रासायनिक बीज उपचार के लिए स्प्रिंट (कार्बेन्डाजिम 25%+ मैंकोजेब 50% डब्ल्यूएस) 6-7 ग्राम या एमेस्टो प्राइम (पेनफ्लुफेन 22.43% एफएस) @ 10 मिली, प्रति 10 किग्रा बीज के हिसाब से अवश्य उपचारित करना चाहिए। इससे पछेती झुलसा, ब्लैक स्कार्फ रोग से फसल को बचाया जा सकता है।
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