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इस रोग में प्याज़ के पत्तों पर छोटे पीले से नारंगी रंग के धब्बे या धारियां पत्ती के बीच में दिखाई देती हैं जो बाद में अंडाकार हो जाती हैं। धब्बे के चारो ओर गुलाबी किनारे इसके प्रमुख लक्षण हैं।
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धब्बे पत्तियों के किनारे से नीचे की ओर बढ़ते हैं, साथ ही धब्बे आपस में मिलकर बड़े क्षेत्र फैलते हैं साथ ही पत्तियां झुलसी हुई दिखाई देती हैं।
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रोपाई के बाद 10-15 दिन के अंतराल पर या बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर फफूंदनाशियों जैसे थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिडकाव करें।
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हेक्सकोनाज़ोल 5% SC @ 400 मिली प्रति एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिडकाव करें।
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क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिडी@500 ग्राम/एकड़ के रूप में उपयोग करें।
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