खरतपतवारों की ऐसे करें पहचान, जानें इससे फसलों को होते हैं किस प्रकार के नुकसान
फसलों को होने वाले नुकसान में सबसे ज्यादा करीब 35 से 70 प्रतिशत तो सिर्फ खरपतवारों के प्रकोप से होता होता है। खरपतवार नैसर्गिक संसाधन जैसे प्रकाश, जगह, जल, वायु के साथ-साथ पोषक तत्व के लिये फसल से प्रतिस्पर्धा करते हैं और उपज में भारी कमी लाते हैं। खरपतवारों के अधिक प्रकोप के कारण फसल में रोगों का प्रकोप भी बहुत अधिक बढ़ जाता है।
फसल में तीन प्रकार के खरपतवार होते हैं
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सकरी पत्ती/एक बीज़ पत्रीय खरपतवार: घास परिवार के खरपतवारों की पत्तियाँ, पतली एवं लम्बी होती हैं तथा इन पत्तियों पर समांतर धारियां पाई जाती हैं। यह एक बीज पत्रीय पौधे होते हैं। इनके उदाहरणों में सांवक (इकाईनोक्लोआ कोलोना) तथा कोदों (इल्यूसिन इंडिका) इत्यादि शामिल हैं।
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चौड़ी पत्ती/दो बीज़ पत्रीय खरपतवार: इस प्रकार के खरपतवारों की पत्तियाँ प्राय: चौड़ी होती हैं। यह मुख्यत: दो बीजपत्रीय पौधे होते हैं। इनमें छोटी और बड़ी दूधी, फुलकिया, दिवालिया, बोखाना, जंगली चौलाई (अमरेन्थस बिरिडिस), सफेद मुर्ग (सिलोसिया अजरेन्सिया), जंगली जूट (कोरकोरस एकुटैंन्गुलस) आदि शामिल होते हैं।
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वार्षिक खरपतवार: इन खरपतवारों की पत्तियां लंबी तथा तना तीन किनारे वाला ठोस होता है। इनकी जड़ों में गांठे (ट्यूबर) पाए जाते हैं जो भोजन इकट्ठा करके नए पौधों को जन्म देने में सहायक होते हैं। इनमे दूब, मोथा (साइपेरस रोटन्ड्स, साइपेरस स्पीशीज) इत्यादि शामिल होते हैं।
खरपतवार के कारण फसल की उपज बहुत प्रभावित होती है। फसल को दिए जाने वाले पोषक तत्व भी खरपतवार के द्वारा ग्रहण कर लिए जाते हैं। सामान्यतः खरपतवार फसलों को मिलने वाली 47% फास्फोरस, 50% पोटाश, 39% कैल्शियम और 34 मैग्नीशियम तक का उपयोग कर लेते हैं। जिससे फसल की उपज घट जाती है। इन खरपतवारों के कारण फसल पर कवक जनित रोगों और कीटों का प्रकोप भी बहुत अधिक होता है।
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10 जुलाई को क्या रहे इंदौर मंडी में क्या रहे प्याज के भाव?
वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 10 जुलाई के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?
वीडियो स्रोत: यूट्यूब
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स्रोत: नवभारत टाइम्स
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सोयाबीन में हो रहा है पत्ती धब्बा रोग का प्रकोप, जानें नियंत्रण के उपाय
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इस बीमारी के लक्षण सर्वप्रथम घनी बोई गयी फसल में, पौधे के निचले हिस्सों दिखाई देते हैं। इसके कारन रोगग्रस्त पौधे पर पर्णदाग, पत्ती झुलसन अथवा पत्तियों के गिरने आदि के लक्षण नजर आते हैं।
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पत्तियों पर असामान्य गीले धब्बे दिखाई देते हैं, जो की बाद में भूरे या काले रंग में परिवर्तित हो जाते हैं एवं संपूर्ण पत्ती झुलस जाती है।
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पर्णवृंत, तना, फली पर भी भूरे धब्बे दिखाई देते हैं। फली एवं तने के ऊतक संक्रमण पश्चात भूरे अथवा काले रंग के होकर सिकुड़ जाते हैं।
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पौधों के रोगग्रस्त भागों पर नमी की उपस्थिति में, सफेद और भूरे रंग की संरचनाए दिखाई देती है।
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इस रोग के निवारण के लिए क्लोरोथियोनिल @ 400 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाज़िन 12% + मैनकोज़ब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कीटाजीन@ 200 मिली/एकड़ दर छिड़काव करें।
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जैविक उत्पाद के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी 250 ग्राम/एकड़ + स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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बुआई के बाद मक्का की फसल में जरूर करें खरपतवार प्रबंधन
फसल चाहे कोई भी हो खरपतवार की अधिकता से पैदावार में कमी आ ही जाती है। अन्य सभी फसलों की तरह मक्के की फसल में भी खरपतवारों के कारण पैदावार में भारी कमी आती है। समय रहते खरपतवारों पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है। अगर आप मक्के की खेती कर रहे हैं तो आपके खेत में भी कई तरह के खरपतवार हो सकते हैं।
मक्का की फसल में खरपतवार प्रबंधन की यांत्रिक विधि: मक्का की खेती में निदाई और गुड़ाई की खास भूमिका है। इससे खरपतवार को अच्छी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए मक्का की खेती करने वाले किसान को, मक्का में 2 से 3 बार निदाई और गुड़ाई करना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि गुड़ाई कभी भी 4 से 5 सेमी से ज्यादा गहरी न करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि अगर गहरी गुड़ाई करते हैं तो इससे फसल की जड़ को नुकसान पहुँचती है या इससे जड़ें कट भी सकती हैं। पहली निदाई, बुवाई के 15 दिन बाद करें और दूसरी निदाई लगभग 40 दिन बाद करें।
1 -3 दिनों में खरपतवार नियंत्रण: बुवाई के दूसरे या तीसरे दिन, अंकुरण से पूर्व खरपतवारनाशी का प्रयोग करने से खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। मक्का में उगने वाले खरपतवार, सामन्यतः वार्षिक घास एवं सकरी एवं चौड़ी पत्तियों वाली खरपतवार होती है।
मक्का में निम्न खरपतवारनाशकों का उपयोग किया जा सकता है
पेंडीमेथलीन 38.7 @ 700 मिली/एकड़(1 से 3 दिनों बाद) की दर से छिड़काव करें या एट्राजिन 50% WP @ 500 ग्राम/एकड़ (3 से 5 दिनों बाद) छिड़काव करें। यदि दलहनी फसलों को मक्का में मध्यवर्ती फसलों के रूप में उगाया जाता है तो एट्राजीन का उपयोग न करें। इसके स्थान पर पेंडीमेथलीन का ही उपयोग करें।
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मध्य भारत में जोरदार बारिश की संभावना, जानें कहाँ कहाँ होगी बारिश
मध्य भारत के ज्यादातर क्षेत्रों में मानसून की भारी बारिश की संभावना बन रही है। अन्य क्षेत्रों में भी मानसून का इंतजार खत्म होने वाला है। दिल्ली सहित उत्तर पश्चिम भारत के कई राज्यों में तेज बारिश की संभावना है। 11 जुलाई से देश के अधिकांश राज्यों में मानसून की बारिश जोर पकड़ेगी। अब तक जो मानसून की कमी खल रही थी वह धीरे-धीरे पूरी हो जाएगी तथा फसलों को भी राहत मिलने की संभावना है।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
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9 जुलाई को मध्य प्रदेश की मंडियों में क्या रहे अलग अलग फसलों के भाव
मंडी |
फसल |
न्यूनतम |
अधिकतम |
रतलाम _(नामली मंडी) |
गेहूँ लोकवन |
1666 |
1765 |
रतलाम _(नामली मंडी) |
यलो सोयाबीन |
6500 |
7400 |
रतलाम _(जावरा मंडी) |
मका |
1571 |
1687 |
रतलाम _(जावरा मंडी) |
उरद |
3251 |
5980 |
रतलाम _(जावरा मंडी) |
सोयाबीन |
7000 |
7550 |
रतलाम _(जावरा मंडी) |
गेहूँ |
1650 |
2120 |
रतलाम _(जावरा मंडी) |
चना |
4121 |
4600 |
रतलाम _(जावरा मंडी) |
मसूर |
5200 |
5700 |
रतलाम _(जावरा मंडी) |
धनिया |
5000 |
6500 |
रतलाम _(जावरा मंडी) |
मेथी |
5001 |
7200 |
रतलाम _(जावरा मंडी) |
अलसी |
6000 |
7201 |
रतलाम _(जावरा मंडी) |
सरसो |
6101 |
6401 |
रतलाम _(जावरा मंडी) |
डॉलर चना |
4501 |
8000 |
रतलाम _(नामली मंडी) |
लहसून |
1500 |
9801 |
रतलाम _(जावरा मंडी) |
प्याज |
700 |
2101 |
रतलाम _(जावरा मंडी) |
लहसून |
2001 |
9600 |
रतलाम_एपीएमसी |
प्याज |
850 |
2142 |
रतलाम_एपीएमसी |
लहसून |
1100 |
8401 |
रतलाम _(सेलाना मंडी) |
सोयाबीन |
6800 |
7471 |
रतलाम _(सेलाना मंडी) |
गेहूँ |
1600 |
2421 |
रतलाम _(सेलाना मंडी) |
चना |
4540 |
4699 |
रतलाम _(सेलाना मंडी) |
रायडा |
5501 |
5811 |
रतलाम _(सेलाना मंडी) |
मटर |
2402 |
4570 |
रतलाम _(सेलाना मंडी) |
मेधी दाना |
5700 |
5700 |
रतलाम _(सेलाना मंडी) |
मसूर |
4700 |
5291 |
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9 जुलाई को क्या रहे इंदौर मंडी में प्याज के भाव?
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वीडियो स्रोत: यूट्यूब
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धान की मिलिंग पर 200 रुपए प्रति क्विंटल तक की राशि देने का ऐलान
किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान की मिलिंग प्रक्रिया में आ रही समस्या का समाधान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में पिछले दिनों निकाल लिया गया। बता दें की खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में प्रदेश में किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी गई 37 लाख 26 हजार मी. टन धान की मिलिंग होनी है।
मिलिंग प्रक्रिया को तेज करने के उद्देश्य से प्रदेश में मिलिंग की मान्य दर 50 रूपये प्रति क्विंटल के साथ अपग्रेडेशन राशि मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन एवं भारतीय खाद्य निगम को चावल परिदान के विभिन्न विकल्पों अनुसार केवल खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 मिलिंग के लिए 50 रूपये से 200 रूपये प्रति क्विंटल तक देने का निर्णय लिया गया। इस बैठक में यह भी निश्चित किया गया की सीमावर्ती राज्यों के मिलर से भी मिलिंग का कार्य करवाया जाएगा।
स्रोत: कृषक जगत
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