नीम लेपित यूरिया के उपयोग से फसलों को मिलेंगे कई लाभ

Crops will get many benefits from the use of Neem Coated Urea
  • नीम लेपित यूरिया ऐसा यूरिया होता है जिस पर नीम को लेपित करके तैयार किया जाता है।
  • नीम लेपित या कोटेड यूरिया बनाने के लिए यूरिया के ऊपर नीम के तेल का लेप कर दिया जाता है।
  • यह लेप नाइट्रीफिकेशन अवरोधक के रूप में काम करता है। नीम लेपित यूरिया धीमी गति से प्रसारित होता है।
  • इसके कारण फसलों की आवश्यकता के अनुरूप नाइट्रोजन पोषक तत्व की उपलब्धता होती है और फसल उत्पादन में भी वृद्धि होती है।
  • नीम लेपित यूरिया सामान्य यूरिया की तुलना में लगभग 10% कम लगता है, जिससे 10% तक यूरिया की बचत की जा सकती है।

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टमाटर की फसल में लीफ माइनर रोग का नियंत्रण कैसे करें?

How to control leaf miner disease in tomato

टमाटर के पौधे पर लीफ माइनर रोग के लक्षण

? लीफ माइनर (पत्ती सुरंगक) कीट बहुत ही छोटे होते हैं और पत्तियों के अंदर जाकर सुरंग बनाते हैं।

? इससे पत्तियों पर सफेद धारी जैसी लकीरें दिखती हैं। इसके वयस्क कीट हल्के पीले रंग के एवं शिशु कीट बहुत छोटे तथा पैर विहीन पीले रंग के होते हैं। कीट का प्रकोप पत्तियों पर शुरू होता है।

?यह कीट पत्तियों में सर्पिलाकार सुरंग बनाता है पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्रिया बाधा होती है। अंततः पत्तियां गिर जाती हैं।

क्या है उपचार के उपाय?

? रासायनिक प्रबंधन:  इस कीट के नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 75 मिली/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 300 मिली/एकड़ का उपयोग करें।

? जैविक उपचार: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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तरबूज की फसल में उकठा रोग से बचाव के तरीके

Wilt management in Watermelon
  • यह रोग जीवाणु एवं कवक जनित है जो तरबूज की फसल को नुकसान पहुँचाता है।
  • बैक्टीरियल विल्ट संक्रमण के लक्षण संक्रमित पौधों के सभी भागों पर देखे जा सकते हैं।
  • इसके कारण पत्तियां पीली हो जाती हैं, फिर पूरा पौधा सूख जाता है और मर जाता है।
  • तरबूज की फसल गोल घेरे में सूखना शुरू हो जाती है।
  • कासुगामायसिन 5% + कॉपरआक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 3% SL @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ छिड़काव के रूप में उपयोग करें।

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मूंग की फसल में मकड़ी के प्रकोप से होगा नुकसान, ऐसे करें नियंत्रण

How to control mites in green gram crop

? यह कीट छोटे एवं लाल रंग के होते है होते है जो मूंग की फसल के कोमल भागों जैसे पत्ती, फूल, कली एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।

? जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उस पौधे पर जाले दिखाई देते हैं। यह किट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं जिससे अंत में पौधा मर भी जाता है।

? रासायनिक प्रबंधन: प्रोपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @ 200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @ 150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

? जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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बैगन की फसल में ऐसे करें सफेद मक्खी का नियंत्रण

White fly management in brinjal crop

? इस कीट के शिशु एवं वयस्क दोनों ही रूप बैगन की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाते हैं। ये पत्तियों का रस चूस कर पौधे के विकास को बाधित कर देते हैं एवं पौधे पर उत्पन्न होने वाली सूटी मोल्ड नामक जमाव का कारण भी बनते हैं। इसके अधिक प्रकोप की स्थिति में बैगन की फसल पूर्णतः संक्रमित हो जाती है। फसल के पूर्ण विकसित हो जाने पर भी इस कीट का प्रकोप होता है। इसके कारण फसलों की पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं।

? रासायनिक प्रबंधन: इस कीट के निवारण के लिए डायफेनथुरोंन 50% SP @ 250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामाइड 50% WG @ 60 मिली/एकड़ या एसिटामेप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफेन 10% + बॉयफेनथ्रीन 10% EC 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

? जैविक उपचार: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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गिलकी की फसल में वायरस के प्रबंधन के उपाय

Management of virus in the sponge gourd crop

गिलकी की फसल में कैसे फैलता है वायरस?
? अधिक गर्मी एवं मौसम परिवर्तन के कारण गिलकी की फसल में वायरस फैलता है।

? इस वायरस का वाहक सफेद मक्खी है।

? यह पत्तियों पर बैठती है और एक से दूसरे खेत में आती जाती रहती है।

? इससे सब्जियों में वायरस का प्रकोप होता है।

क्या होते हैं वायरस प्रकोप के लक्षण?
? वायरस प्रकोप के लक्षण पौधे की सभी अवस्था में देखे जाते हैं।

? इसके कारण पत्तियों की शिरा पीली पड़ जाती है एवं पत्तियों की पर जाल जैसी संरचना बन जाती है।

क्या हैं उपचार के उपाय?
? रासायनिक प्रबधन: इसके निवारण के लिए एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या डायफैनथीयुरॉन 50% WP @ 250 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC@ 250 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।

? जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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करेले की फसल में अंकुरण प्रतिशत बढ़ाने के लिए क्या उपाय करें?

What measures should be taken to increase germination percentage in bitter gourd crops
  • जायद सीजन में कई किसान करेले की फसल लगाते हैं।
  • इस मौसम में तापमान में परिवर्तन होता है और तापमान बढ़ जाता है।
  • तापमान में बढ़ोतरी के कारण करेले की फसल में बीजो का पूरी तरह अंकुरण नहीं हो पाता है।
  • इसके कारण किसान की उपज बहुत प्रभावित होती है।
  • इस प्रकार की समस्या के निवारण के लिए करेले के बीज़ो को बीज उपचार करके ही बुआई करें।
  • बुआई के बाद 10-15 दिनों में करेले की फसल में फास्फोरस घोलक जीवाणु @ 500 ग्राम/एकड़ के साथ विगेरमैंक्स जेल @ 1 किलो/एकड़ की दर से जमीन से दें।
  • इन दोनों उत्पादों के उपयोग से करेले की फसल में अंकुरण प्रतिशत बढ़ता है।

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तरबूज की फसल में झुलसा रोग का नियंत्रण कैसे करें?

How to control blight disease in watermelon crop

तरबूज के पौधे पर झुलसा रोग के लक्षण 

? झुलसा रोग के कारण तरबूज की पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं,

? तने पर लंबे, दबे हुए एवं बैंगनी-काले रंग के विक्षत धब्बे बन जाते हैं। ये बाद में आपस में मिल जाते हैं और पूरे तने को चारों और से घेर लेते हैं।

?फलियों पर लाल या भूरे रंग के अनियमित धब्बे दिखाई देते हैं। रोग की गंभीर अवस्था में तना कमजोर होने लगता है।

क्या हैं उपचार के उपाय?

?रासायनिक प्रबधन: मैनकोज़ेब 75% WP @ 600 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 400 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

?जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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मध्य प्रदेश में धूल भरी हवाओं की वजह से तापमान में होगी थोड़ी गिरावट

Weather Forecast

अगले 24 घंटों के दौरान उत्तर पश्चिम और पश्चिमी दिशाओं से हवाएं पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि इलाकों में चलेंगी। राजस्थान और मध्य प्रदेश के उत्तरी ज़िलों में इन हवाओं की रफ़्तार 30 से 40 किलो मीटर प्रति घंटा रहने संभावना है। कई इलाकों में धूल भरी हवाएं चलने की भी संभावना है जिससे तापमान में कुछ और गिरावट देखने को मिल सकती है।

स्रोत : स्काईमेट वीडियो

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

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स्मार्ट खेती करने से मिलेगी किसान भाइयों को समृद्धि

Farmers will get prosperity by doing smart farming
  • स्मार्ट खेती से आशय यह है की किसान खेती करने के नए तरीके एवं खेती को लाभ पहुंचाने वाले उत्पादों का उपयोग करे।
  • कुछ ऐसी ही खेती ग्रामोफ़ोन एप के माध्यम से किसान भाई करते हैं।
  • स्मार्ट खेती के अंतर्गत कीट, रोग एवं पोषण संबधी फसल की आवश्यकता को टेक्नोलॉजी के माध्यम से पूरा किया जाता है।
  • इस प्रकार की खेती में मोबाइल एप्लीकेशन, वृहद आंकड़े, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीनों का उपयोग होता है।
  • कृषि में सूचना संचार प्रौद्योगिकी का प्रयोग किसान की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • युवा कृषक पारंपरिक खेती की जगह स्मार्ट खेती तकनीक अपनाकर अपनी खेती में व्यापक सुधार कर रहे हैं।
  • स्मार्ट खेती के माध्यम से किसान की लागत कम एवं उपज ज्यादा होती है।

ग्रामोफ़ोन एप के माध्यम से आप भी कर सकते हैं स्मार्ट खेती। आज ही अपने खेत को “मेरी खेती” विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें।

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