- बुआई के समय भिंडी की फसल में मिट्टी उपचार करने से मिट्टी जनित रोगों एवं कीटों से फसल की रक्षा होती है।
- बुआई के समय यह प्रक्रिया अपनाने से अंकुरण के समय भिंडी के बीजों का अंकुरण प्रतिशत बहुत अच्छा हो जाता है।
- FYM या वर्मी कम्पोस्ट से मिट्टी उपचार करने से मिट्टी हवादार हो जाती है।
- किसी भी रासायनिक या जैव उर्वरक से मिट्टी उपचार करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की पूर्ति आसानी से हो जाती है।
- इससे फसल उत्पादन बहुत हद तक बढ़ जाता है एवं फसल रोगरहित पैदा होती है।
- साथ ही अंकुरण अवस्था में लगने वाले कवक रोगों से अंकुरित पौध को सुरक्षा भी मिलती है।
मध्यप्रदेश में एक ही दिन शुरू होगी गेहूँ, चना, सरसों एवं मसूर की खरीदी
रबी फसलों की कटाई का समय आ गया है। किसान गेहूँ की कटाई अब शुरू करने वाले हैं। फसल कटाई की तैयारियों को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने उपज खरीदने की तारीखों की भी घोषणा कर दी है। आने वाले महीने मार्च की 15 तारीख से सरकार खरीदी प्रक्रिया शुरू कर देगी।
इस बाबत मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा कि “15 मार्च से गेहूँ के साथ चना, सरसों, मसूर की खरीद भी होगी और खरीद की सीमा को भी बढ़ा दिया गया है।” उन्होंने आगे कहा की “गेहूँ के साथ ही चना, सरसों, मसूर की खरीदी शुरू होने से किसानों को समर्थन मूल्य से ज्यादा दाम मिलेगा।
स्रोत: न्यूज़ 18
Shareअगले 24 घंटे में मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में फिर होगी बारिश
पिछले कुछ दिनों से देश के कई क्षेत्रों में मौसम ने करवट ले ली है। मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में बारिश के साथ साथ ओले गिरने की भी खबर आई है। आने वाले 24 घंटे में भी बारिश होने के आसार बताये जा रहे हैं।
आने वाले 24 घंटों के दौरान मध्यप्रदेश के साथ साथ छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है साथ ही कहीं कहीं गरज के साथ बौछारें गिरने के भी आसार हैं। इन क्षेत्रों में कहीं कहीं ओले गिरने की भी संभावनाएं हैं।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareभिंडी की फसल से अच्छी उपज प्राप्ति के लिए जरूरी है बीज उपचार
- बुआई के पूर्व भिंडी की बीजों का बीज़ उपचार करने से कई प्रकार के कीट तथा रोगों के प्रकोप से बीजों का बचाव होता है।
- बीज़ उपचार करने से भिंडी के बीजों का अंकुरण बहुत अच्छा होता है।
- रासायनिक उपचार: बुआई से पहले भिंडी के बीजों को कवकनाशी कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP@ 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% DS @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या कीटनाशी इमिडाक्लोप्रिड 48% FS @ 4 मिली/किलो बीज या थियामेंथोक्साम 30% FS@ 4 मिली/किलो बीज से बीज उपचार करें।
- जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम + PSB बैक्टेरिया @ 2 ग्राम/किलो बीज या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ @ 5 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।
- इस बात का विशेष ध्यान रखें की बीज उपचार के बाद उपचारित बीजों को उसी दिन बुआई के लिए उपयोग करें। उपचारित बीजों को संगृहीत करके ना रखें।
तरबूज़ की फसल में अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग का नियंत्रण कैसे करें?
- अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग तरबूज़ की फसल में बुआई के बाद से ही दिखाई देने लगता है।
- इस रोग के कारण पत्तियों पर भूरे रंग के सकेंद्रिय गोल धब्बे दिखाई देते हैं। यह धब्बे धीरे धीरे बढ़ते जाते है और आखिर में ग्रसित पत्तियाँ सूख कर गिर जाती हैं।
- इस रोग के निवारण के लिए कार्बेडेंजियम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें।
अब गौ पालकों की बढ़ेगी कमाई, गोबर से बनाया जाएगा इकोफ्रेंडली पेंट
किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए सरकार कई नए कदम उठा रही है। इसी कड़ी में पिछले दिनों केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने गोबर से तैयार किये गए पेंट लॉन्च किये थे। अब बताया जा रहा है की नितिन गडकरी गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री शुरू करने की तैयारी में हैं।
सरकार की इस पहल से हर गांव में रोज़गार के नए और बेहतर अवसर पैदा होंगे। बता दें की गोबर से पेंट तैयार करने वाली एक फैक्ट्री शुरू करने में करीब 15 लाख रुपए का खर्च होगा। गोबर से तैयार यह पेंट इकोफ्रेंडली होगा और लम्बे समय तक चलेगा।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareमध्य प्रदेश के 18 जिलों में ओलावृष्टि की चेतावनी, 4 जिलों में बारिश जारी
मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में अचानक मौसम ने करवट ली है और बरसात का दौर शुरू हो गया है। यह मौसमी बदलाव बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी वाली हवाओं के कारण देखने को मिल रही है। यही कारण है की मध्य प्रदेश के 4 जिले भोपाल, रायसेन, सीहोर, सागर में बारिश हो रही है साथ ही रायसेन एवं नरसिंहपुर में ओले गिरने की भी खबर आई है। इसके अलावा सिवनी जिले में भी कई जगहों पर बारिश के साथ ओले गिरने की खबर आई है।
मौसम विभाग ने अगले दो दिनों में मध्य प्रदेश के 18 जिले में ओलावृष्टि की संभावना जताई है। इस मौसम पूर्वानुमान को देखते हुए किसानों को सावधान रखने की जरुरत है और अपने अपने स्तर पर इस बाबत प्रबंध करने की जरुरत है।
मध्य प्रदेश के किन जिलों में ओले गिरने की है संभावना?
मौसम विभाग के अनुसार ओले गिरने की है संभावना वाले जिलों में शहडोल और होशंगाबाद संभाग के साथ साथ रीवा, सतना, दमोह, सागर, छिंदवाड़ा, सिवनी, रायसेन, सीहोर, दतिया, भोपाल, गुना और भिंड जिले शामिल हैं।
Shareमध्य प्रदेश समेत देश के आधे से अधिक हिस्से में बारिश की संभावना
मध्य प्रदेश के पूर्वी एवं दक्षिण पूर्वी क्षेत्रों में अच्छी बारिश होने की संभावना है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के भी कई क्षेत्रों में बारिश की संभावना बनी हुई है। बारिश के साथ साथ देश के कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि की संभावना भी बनी हुई है।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareमूंग समृद्धि किट से मिलेगी बम्पर उपज, जाने इसके उपयोग की पूरी प्रक्रिया
- मूंग की फसल के लिए ख़ास तौर पर तैयार की गई ‘मूंग समृद्धि किट’ आपकी फसल का सुरक्षा कवच बनेगी।
- इस किट में कई उत्पाद संलग्न हैं जिसमे पीके बैक्टीरिया का कंसोर्टिया, राइज़ोबियम बैक्टेरिया, ट्राइकोडर्मा विरिडी, ह्यूमिक एसिड, समुद्री शैवाल, अमीनो एसिड एवं मायकोराइज़ा शामिल हैं।
- इस किट का कुल वज़न 5 किलो है जो एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।
- फसल की बुआई के पहले इस किट को 50-100 किलो FYM के साथ मिलाकर खाली खेत में भुरकाव करें।
- इस बात का ध्यान रखें की जब इस किट का उपयोग किया जा रहा हो तब खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।
- यह किट मूंग की फसल को सभी जरुरी पोषक तत्व प्रदान करती है।
गर्मियों में गोबर खाद के उपयोग से पहले इन बातों का जरूर रखें ध्यान
- गर्मियों के मौसम में किसान अक्सर खेत में गोबर की खाद डालता है, परंतु इसका उपयोग करने से पहले यह जरूर ध्यान रखना चाहिए की गोबर खाद अच्छे से पकी हुई हो।
- कभी कभी किसान खेत में डालने के लिए जिस गोबर खाद का उपयोग करता है वह अधपकी एवं पूर्ण पोषित भी नहीं होती है। जिसका नुकसान फसल को उठाना पड़ता है।
- गोबर की खाद को खेत में डालने से पहले उसे पूरी तरह से डिकम्पोज़्ड कर लेना चाहिए।
- गोबर की खाद में नमी की मात्रा पर्याप्त रखने के लिए इसे खेत में डालने के बाद हल्की सिंचाई करना बहुत आवश्यक होता है।
- गोबर की खाद डालने के बाद खेत की जुताई भी अवश्य करें। ऐसा करने से गोबर खाद अच्छे से मिट्टी में मिल जाती है।