- लेमन ग्रास एन्टीऑक्सीडेंट, एन्टीइंफ्लामेंटरी और एन्टीसेप्टिक गुणों से युक्त है।
- लेमन ग्रास की चाय सिरदर्द में काफी फ़ायदेमंद है तथा इसे प्रतिरोधकता को बढ़ाने का श्रेय भी हासिल है।
- पेट दर्द, पेट में ऐंठन, पेट फूलना, गैस, अपच, जी-मिचलाना या उल्टी आना जैसी पाचन संबंधित समस्याओं में भी यह कारगर औषधि सिद्ध होती है।
- लेमन ग्रास के नियमित सेवन से शरीर में आयरन की कमी दूर हो जाती है जो एनीमिया रोगियों के लिए लाभदायक है।
- इसमें ऐसे तत्व मौजूद हैं जो कैंसर सेल्स को शुरुआती अवस्था में रोकने में कारगर है।
- यह धमनियों में रक्त प्रवाह को तेज कर हृदय सम्बन्धी बीमारियों को रोकता है।
- लेमन ग्रास का उपयोग अनिद्रा, अस्थमा, घुटने के दर्द, अवसाद की समस्या से निजात पाने में भी किया जाता है।
मध्यप्रदेश में उपार्जन राशि का 50% से अधिक पैसा नहीं काट सकेंगे बैंक, सरकार का ऐलान
देशव्यापी लॉकडाउन के बीच पूरे देश में रबी फ़सलों की खरीदी जारी है। गेहूं की खरीदी के साथ-साथ अब किसानों तक उपार्जन राशि का भुगतान भी होने लगा है। पर जिन किसानों ने खेती के लिए बैंक से ऋण लिया था उनकी उपार्जन राशि से बैंक ने पैसे काटने शुरू कर दिए हैं, इस कारण किसानों को पूरी राशि नहीं प्राप्त हो रही है।
ग़ौरतलब है की मध्य प्रदेश में ज्यादातर किसान खेती करने के लिए फसली ऋण तथा किसान क्रेडिट कार्ड से ऋण लेते हैं | इस ऋण को फिर किसान अपने फसल उत्पादन को बेच कर पूरा करते हैं। हालांकि इस साल साल पहले वर्षा और बाद में कोरोना महामारी की वजह से किसानों की बचत बहुत कम हुई है। जिस कारण बैंक द्वारा उपार्जन राशि के पैसे काटने से किसानों को और समस्याएं हो सकती हैं।
इन्ही समस्याओं पर ध्यान देते हुए अब मध्यप्रदेश सरकार ने बैंकों को यह आदेश दिया है की रबी उपार्जन के अंतर्गत किसानों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचीं गई फसल की राशि में से बकाया ऋण की राशि का 50% से ज्यादा ना काटा जाए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने बैंकों को यह भी निर्देश दिया है कि अगली फसल के लिए किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराएँ जाएँ |
स्रोत: किसान समाधान
Shareकपास समृद्धि किट में उपस्थित उत्पादों के फायदे
- कपास समृद्धि किट मिट्टी की उत्पादकता बढ़ा कर उपज को बेहतर करने में सहयोग देता है।
- यह जैविक कार्बन को बढ़ाने में भी सहायक है।
- ये उत्पाद उर्वरक उपयोग दक्षता में सुधार लाकर गुणवत्ता के साथ उपज में वृद्धि करता है। जिससे रासायनिक उर्वरकों की मात्रा को कम किया जा सकता है।
- इसका कार्य प्रारंभिक अंकुर वृद्धि कर जड़ विकास और पौध स्वास्थ्य विकास करना है।
- यह मिट्टी संरचना में सुधार लाकर मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को भी बढ़ाता है।
- फसल में लगने वाले जड़ सड़न, उकठा, आद्र गलन जैसे मृदाजनित रोगों से रक्षा करता है।
- नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक, फॉस्फेटिक, पोटाश तथा जिंक पोषक तत्वों की सतत आपूर्ति कर उर्वरक इनपुट लागत में कमी लाता है।
- ये उत्पाद जैविक होते है जो कोई विषैला प्रभाव नहीं छोड़ते है।
- मिट्टी PH और जल धारण क्षमता में सुधार करता है।
पशुओं में आतंरिक परजीवियों से बचाव के उपाय
- परजीवियों से सुरक्षित रहने के लिए सफाई और स्वच्छता बनाए रख कर, स्वच्छ कवक रहित चारा और साफ पीने योग्य पानी उपलब्ध करा कर, पूरक पोषण और खनिज पदार्थ प्रदान कर, नियमित और समय पर कृमिनाशक (डीवर्मिग) करवा कर और समय पर चिकित्सा सहायता के द्वारा हम पशुओं में परजीवियो की समस्या का प्रभावी रूप से निराकरण कर सकते हैं।
- पशुओं में आतंरिक परजीवियो से सुरक्षा हेतु हर तीन महीने में एक बार पेट के कीड़े की दवा अवश्य देनी चाहिए। साथ ही नियमित रूप से गोबर की जाँच करनी चाहिए।
- जाँच में कीड़े की पुष्टि होते ही पशुचिकित्सक की सलाह से उचित कृमिनाशक दवा दें। पशुओं में टीकाकरण से पहले कृमिनाशक दावा अवश्य देनी चाहिए। गाभिन पशुओं को पशुचिकित्सक की सलाह के बगैर किसी सूरत में कृमिनाशक दवा न दें।
- कृमिनाशक दवा, विशेष कर ओकसीक्लोजानाइड (1 ग्राम प्रति 100 किलो ग्राम पशु वजन के लिए) का प्रयोग करें। ध्यान रखें कि दवा सुबह भूखे/खाली पेट में खिलायी/पिलायी जानी चाहिए। इस दवा का उपयोग पशुओं के गर्भावस्था के दौरान भी बिना किसी विपरीत प्रभाव के किया जा सकता है।
- जहाँ तक संभव हों पशु चिकित्सक की सलाह लेकर ही पशुओं को दवा देनी चाहिए।
मध्यप्रदेश में अब खुलेगी निजी मंडी, किसानों को होगा इससे फायदा
आमतौर पर किसानों के पास अपनी उपज बेचने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं होते हैं और उन्हें सरकारी मंडियों में ही अपना उत्पादन बेचने को मजबूर होना पड़ता है। मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों की इसी परेशानी को समझा और प्रदेश में निजी मंडी खोले जाने का रास्ता साफ़ कर दिया है।
इस बाबत प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा कि है की “अब निर्यातक, व्यापारी, फूड प्रोससेसर आदि निजी मंडी को खोल सकते हैं और किसान की ज़मीन या उसके घर जाकर कृषि पैदावार को ख़रीद सकते हैं।” बता दें की मंडी नियमों में किये गए इस संशोधन का मकसद किसानों को बेहतर कीमतों और अपनी इच्छा अनुसार अपनी उपज की बिक्री करने की स्वतंत्रता प्रदान करना है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि सिर्फ एक लाइसेंस से ऐसी निजी मंडियों को किसानों की उपज खरीदने का अधिकार मिल जाएगा। इसके बाद वे पूरे राज्य से खरीदी कर सकेंगे। इस फैसले के बाद अब मध्य प्रदेश में किसान के पास अपनी उपज बेचने के लिए ज्यादा विकल्प होंगे और इसके लिए उन्हें मंडी के चक्कर लगाने की भी आवश्यकता नहीं होगी।
स्रोत: फाइनेंशियल एक्सप्रेस
Shareक्या हैं कपास समृद्धि किट के बेहतरीन उत्पाद, जाने उपयोग का तरीका
- एस. के. बायोबिज़: इसमें एन.पी.के. बैक्टीरिया के कंसोर्टिया है जो एजोटोबैक्टर, फॉस्फोरस सोलूबलाइज़िंग बैक्टीरिया और पोटेशियम मोबिलाइज़िंग बैक्टीरिया से मिलकर बना है। जो नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम पौधों को उपलब्ध कराते हैं। 100 ग्राम एन.पी.के. बैक्टीरिया को 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में प्रति एकड़ की दर से मिलाकर अंतिम जुताई के समय खेत में बिखेर देना चाहिए।
- ग्रामेक्स: इस उत्पाद में ह्यूमिक एसिड, एमिनो एसिड, समुद्री शैवाल और माइकोराइजा आदि तत्वों का खजाना होता है। यह 2 किलो प्रति एकड़ की दर से 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर अंतिम जुताई के समय खेत में बिखेरना चाहिए।
- कॉम्बैट: इस उत्पाद में ट्राइकोडर्मा विरिडी है जो मिट्टी में पाए जाने वाले अधिकांश हानिकारक कवकों की रोकथाम में सक्षम है। यह 4 ग्राम प्रति किलो बीज उपचार के लिए तथा 2 किलो प्रति एकड़ की दर से 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर मिट्टी उपचार में काम आता है।
- ताबा-जी: इसमें जिंक सोलूबलाइज़िंग बैक्टीरिया होते है, जो पौधे को जिंक तत्व उपलब्ध कराता है। यह 4 किलो प्रति 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर एक एकड़ खेत में अंतिम जुताई के समय खेत में बिखेरकर उपयोग किया जाता है।
अलसी के पौष्टिक महत्व
- अलसी में पाया जाने वाला लिनोलेनिक अम्ल कई प्रकार के रोग जैसे कैंसर, टी.बी., हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, कब्ज, जोड़ों का दर्द आदि से बचाता है।
- यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ाता है तथा ट्राइग्लिसराइड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है, परिणामस्वरूप हृदय की धमनियों में खून के थक्के नहीं बनने अतः हृदय घात जैसी बीमारियों से बचाव होता है।
- यह एन्टिबैक्टीरियल, एन्टीफंगस, एन्टीवायरल, एन्टीऑक्सीडेंट तथा कैंसररोधी है। यह प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।
- इसका उपयोग गठिया में, पेट में सूजन तथा ब्लड प्रेशर को कम करने आदि में भी किया जाता है।
क्या है ‘PM किसान’ का सर्वाधिक लाभ लेने वाले टॉप 5 राज्यों में आपके राज्य का नंबर?
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत पिछले कुछ हफ़्तों में 9.39 करोड़ किसान परिवार को 71,000 करोड़ रुपये भेजे गए हैं। इस योजना के अंतर्गत लाभ उठाने वाले टॉप 5 राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार क्रमशः पहले दूसरे तीसरे चौथे और पांचवें नंबर पर हैं।
उत्तर प्रदेश में अब तक पीएम किसान से कुल 2,17,76,351 किसान जुड़ चुके हैं जिनमे 2.15 करोड़ को पहली किस्त, 1.95 करोड़ को दूसरी किस्त, 1.78 करोड़ को तीसरी किस्त और 1.42 करोड़ किसानों को तो चौथी किस्त मिल भी चुकी है।
दूसरे नंबर पर है महाराष्ट्र जहाँ अब-तक इससे कुल 97,20,823 किसान जुड़े हैं। इनमें 94.81 लाख को पहली किस्त, 90 लाख को दूसरी किस्त, 72 लाख को तीसरी किस्त और 61 लाख को तो चौथी किस्त दी जा चुकी है।
इसके बाद तीसरे नंबर पर है राजस्थान जहाँ कुल 63,82,829 किसान इससे जुड़े हैं जिनमे 60.86 लाख को पहली किस्त, 54.63 लाख को दूसरी किस्त, 45.73 लाख को तीसरी किस्त और 34.52 लाख किसानों को चौथी क़िस्त दी जा चुकी है।
चौथे नंबर पर है मध्य प्रदेश 63,03,663 किसान अब तक इस योजना से जुड़े हैं। इनमें पहली क़िस्त करीब 69 लाख किसानों को, दूसरी क़िस्त 64 लाख किसानों को तीसरी क़िस्त 52.5 लाख किसानों को और चौथी क़िस्त 37 लाख किसानों को दी जा चुकी है।
टॉप 5 में पांचवें नंबर पर है बिहार जहाँ कुल 62,83,843 किसान इससे जुड़े और अबतक 62.81 लाख किसानों को पहली क़िस्त, 59.78 लाख किसानों को दूसरी क़िस्त, 46.64 लाख किसानों को तीसरी क़िस्त और 31.26 लाख किसानों को चौथी क़िस्त दी जा चुकी है।
स्रोत: फाइनेंशियल एक्सप्रेस
Shareआगामी सिंचाईया
वानस्पतिक अवस्था के दौरान फसल को दूसरी सिंचाई दें। जड़ सड़न, विल्ट जैसी बीमारियों से बचाव के लिए अतिरिक्त पानी को बाहर निकालें। मिट्टी की नमी के आधार पर 7 से 10 दिनों के अंतराल पर अगली सिंचाई दें। अधिक जानकारी के लिए हमारे टोल नंबर 1800-315-7566 पर मिस्ड कॉल करे|
Shareखीरे की फसल में लीफ माइनर (पत्ती सुरंगक) का करें नियंत्रण
- इसका वयस्क रूप एक हल्के पीले रंग की मक्खी होती है जो पत्तियों पर अंडे देती है।
- इससे पत्तियों पर सफेद टेढ़ी मेढ़ी धारियां बन जाती है तथा अधिक प्रकोप होने पर पत्तियाँ सूख कर गिर जाती हैं।
- लीफ माइनर से प्रभावित पौधों में फलन की समस्या आती है जिससे उपज में कमी आ जाती है।
- इसके नियंत्रण हेतु एबामेक्टिन 1.8% EC @ 160 मिली या साइपरमैथ्रिन 4% EC + प्रोफेनोफॉस 40% EC 400 मिली के साथ जैविक बिवेरिया बेसियाना 5% WP 500 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।