Management of fruit fly in bitter gourd

  • ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर देना चाहिये।
  • अंडे देने वाली मक्खी की रोकथाम करने के लिये खेत में प्रकाश प्रपंच या फेरो मोन ट्रेप को लगाना चाहिये, इस प्रकाश प्रपंच में  मक्खी को मारने के लिये 1% मिथाइल इंजीनाँल या सिनट्रोनेला तेल या एसीटिक अम्ल या लेक्टीक एसिड का घोल बनाकर रखा जाता है।
  • परागण की क्रिया के तुरन्त बाद तैयार होने वाले फलों को पाँलीथीन या पेपर के द्वारा लपेट देना चाहिये।
  • इन मक्खीयों को नियंत्रण करने के लिये करेले के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिये, इन पौधों की ऊँचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी द्वारा पत्तों के नीचे अण्डे देती है।
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर की  मक्खी की सुप्त अवस्थाओ को नष्ट करना चाहिये।
  • डाइक्लोरोवोस 76% ईसी 250 से 500 मि.ली./एकड़ की दर से छिड़काव करे | या 
  • लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4.9% सीएस @ 200 मिली/एकड़। या
  • प्रोफेनोफॉस 40% ईसी + साइपरमेथ्रिन 4% ईसी @ 400 मिली/एकड़ | 

 

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Fruit Fly in bitter gourd

  • मेगट (लार्वा) फलों में छेंद करने के बाद उनका रस चूसते है। 
  • इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है। 
  • मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अण्डे देती है।  
  • मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे  हानि पहुचाती है। इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है।  
  • अंततः छेंद ग्रसित फल सड़ने लगते है। 
  • मेगट फलों में छेद कर गुदा एवं मुलायम बीजों को खाते है,  जिसके कारण फल परिपक्व होने के पहले ही गिर जाते है।

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Control of Aphid in Bottle gourd

  • ग्रसित भाग पीले होकर सिकुड़कर मुड जाते है अत्यधिक आक्रमण की अवस्था में पत्तियाँ सुख जाती है व धीरे-धीरे पौधा सुख जाता है|
  • एसीफेट 75% एसपी @ 300-400 ग्राम / एकड़ या
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल @ 100 मिली / एकड़ या 
  • एसिटामिप्रिड 20% एसपी @ 150 ग्राम ग्राम / एकड़ की दर से छिड़काव करे|

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Aphid in Bottle gourd

  • शिशु एवं वयस्को का समूह पत्तियों की निचली सतह पर चिपके हुये होते है, जो इनके ऊतको से रस चूसते है । 
  • ग्रसित भाग पीले होकर सिकुडकर मुड जाते है। अत्यधिक आक्रमण की अवस्था में पत्तियाँ सूख जाती है व धारे-धीरे पौधा सूख जाता है। 
  • फलों का आकार एवं गुणवत्ता कम हो जाती है। 
  • माहू के द्वारा पत्तियों की सतह पर या पौधे के भागों के ऊपर मधुरस का स्त्राव किया जाता है, जिन पर सूटी फंगस का विकास हो जाता है,जिसके कारण पौधे की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है, अंततः पौधे की वृद्धि रूक जाती है।
  • सूटी फंगस द्धारा ग्रसित फल अनाकर्षक होते है, जिनका मूल्य कम हो जाता है । 

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Seed and Nursery Bed Treatment in Onion

  • बुआई के पहले, प्याज के बीज को थायरम 37.5% + कार्बोक्सिन 37.5% @ 2 ग्राम/किलो बीज के अनुसार उपचारित करना चाहिए जिससे डंपिंग ऑफ रोग से बचा जा सकता है | नर्सरी की मिट्टी को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% @ 40 ग्राम / पम्प से उपचारित करना चाहिए | बुआई के 15-20 दिन पहले क्यारियों की सिचाई कर के सोरयीकरण के लिए उन्हें 250 गेज के पारदर्शी पॉलीथीन से ढक देना चाहिए | यह उपाय डंपिंग ऑफ नामक बीमारी जो की पौध को नष्ट कर देती हैं के नियंत्रण के लिए बहुत उपयोगी हैं | 

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मिर्च में रस चूसने वाले कीटों की समस्या और समाधान

मिर्ची की फसल में रस चूसने वाले कीटों जैसे एफिड,जैसिड और थ्रिप्स की मुख्य समस्या रहती हैं | यह कीट मिर्ची की फसल में पोधो के हरे भागो से रस चूस कर नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे पत्तिया मुड़ जाती हैं और जल्दी गिर जाती हैं | रस चूसक कीटों के संक्रमण से फंगस और वायरस द्वारा फैलने वाली बीमारियों की संभावना बढ़ सकती हैं | अतः इन कीटों  का समय पर नियंत्रण करना आवश्यक हैं:-

नियंत्रण:- 

  • प्रोफेनोफोस 50% EC @ 400 मिली/एकड़ या 
  • एसीफेट 75% SP @ 250 ग्राम/एकड़ या 
  • लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200-250 मिली/एकड़ या
  • फिप्रोनिल 5% SC @ 300-350 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए | 
  • अधिक जानकारी के लिए आप हमारे टोल फ्री न. 1800-315-7566 पर कॉल करे |

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Control of Collar rot in chilli

  • रोगग्रस्त पौधे के अवशेषों को नष्ट करें|
  • जल निकास की व्यवस्था करें व फसल चक्र अपनायें|
  • नर्सरी का निर्माण ऊँची जगह पर करें|
  • बीजो का उपचार कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 64% @ 3 ग्राम / किलो बीज की दर से करें|
  • कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम या मेटालेक्ज़िल8% + मैनकोजेब 64% @ 500 ग्राम / एकड़ की दर से घोल बनाकर 10 दिन के अंतराल पर दो बार ड्रेंचिंग करें|

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Symptoms of Collar rot in chilli

  • भूमि के पास स्तम्भ के आधार पर फफूंद उत्तक क्षय करके पौधे को सुखा देता है|
  • पौधे में विकृति उत्पन्न होना इसका मुख्य लक्षण है।
  • ऊतकों के गल जाने के कारण पौधा मर जाता हैं।
  • जमीनी के पास वाले तने  के पास में माइसेलिया इकठा हो जाता  हैं।
  • पौधे के आस पास पानी जमा होने से या पौधे में कोई यांत्रिक क्षति होने पर इस रोग की संभावना अधिक बड़ जाती हैं 

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Management of fruit fly in bottle gourd

  • मेगट (लार्वा) फलों में छेंद करने के बाद उनका रस चूसते है।
  • इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है।
  • मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे  हानि पहुचाती है। इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है।  
  • ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर देना चाहिये।
  • अंडे देने वाली मक्खी की रोकथाम करने के लिये खेत में प्रकाश प्रपंच या फेरो मोन ट्रेप को लगाना चाहिये, इस प्रकाश प्रपंच में  मक्खी को मारने के लिये 1% मिथाइल इंजीनाँल या सिनट्रोनेला तेल या एसीटिक अम्ल या लेक्टीक एसिड का घोल बनाकर रखा जाता है।
  • परागण की क्रिया के तुरन्त बाद तैयार होने वाले फलों  को पाँलीथीन या पेपर के द्वारा लपेट देना चाहिये।
  • इन मक्खीयों को नियंत्रण करने के लिये लौकी के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिये, इन पौधों की ऊँचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी द्वारा पत्तों के नीचे अण्डे देती है।
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर की  मक्खी की सुप्त अवस्थाओ को नष्ट करना चाहिये।
  • डाइक्लोरोवोस 76% ईसी 250 से 500 मि.ली./एकड़ की दर से छिड़काव करे | या 
  • लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4.9% सीएस @ 200 मिली/एकड़। या
  • प्रोफेनोफॉस 40% ईसी + साइपरमेथ्रिन 4% ईसी @ 400 मिली/एकड़ | 

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How to increase flowering and fruiting in chilli crop

  • किसी  भी फसल में फूल वाली अवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण होती है |
  • मिर्च में फूलो का गिरना एक आम समस्या है।
  • मिर्च के उत्पादन में फूलों की संख्या बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है |
  • नीचे दिए गए कुछ उत्पादों के द्वारा मिर्च की फसल में फूलों को झड़ने से बचा कर उनकी संख्या को बढ़ाया जा सकता है परिणाम स्वरूप उपज बढ़ जाती हैं |
  • होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्लू/डब्लू 100-120 मिली/एकड़ का स्प्रे करें या होशी नामक उत्पाद का 250 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें
  • समुद्री शैवाल का सत् 180-200 मिली/एकड़ का उपयोग करें|
  • सूक्ष्म पोषक तत्त्व 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|

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