Nursery Management in Chilli

अच्छी पैदावार के लिए नर्सरी का ठीक से तैयार होना अति आवश्यक है अगर नर्सरी में पौध रोग रहित एवं स्वस्थ रहेगी तभी खेत में रोपाई के बाद तैयार मिर्च का पौधा भी मजबूत रहेगा इसलिए नर्सरी में पौधे की उचित देखभाल अवश्य करे | अच्छी पौधे तैयार करने हेतु ग्रामोफोन मिर्च की नर्सरी में तीन बार स्प्रै करने की सलाह देता हैं जो इस प्रकार है

  • पहला स्प्रे – थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8 ग्राम/पम्प + एमिनो एसिड 20 मिली/पम्प (पत्तियों का रस चूसने वाले कीटो के नियंत्रण में सहायक) |
  • दुसरा स्प्रे – मेटलैक्सिल-M (मेफानोक्सम) 4% + मैनकोज़ब 64% डब्ल्यूपी 30 ग्राम/पम्प + 19:19:19 @ 100 ग्राम/पम्प ( डम्पिंग ऑफ के नियंत्रण में सहायक ) |
  • तीसरा स्प्रे – थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8-10 ग्राम/पम्प + हुमिक एसिड 10-15 ग्राम/पम्प
  • समयानुसार अन्य कीट व रोग लगने पर उनका नियंत्रण करें |

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Weed Management in Cotton :-

  1. संकीर्ण पत्ती के लिए: – क्विज़ेलोफॉप एथिल 5% ईसी @ 400 मिली/एकड़ या प्रोपाकिजाफाप 10% ईसी 300 मिली/एकड़ की दर से स्प्रे करें।
  2. चौड़ी पत्ती के लिए: – ग्रामोक्सोन 24% SL @ 500 मिली/एकड़ जब फसल 1.5 फीट ऊँचाई की हो जाए तो फसल को बचाते हुए, मिट्टी की सतह पर स्प्रे करें। यह एक नॉन-सेलेक्टिव खरपतवार नाशी हैं। इसका स्प्रे करने के लिए नोजल को टोपा पहना कर उपयोग करे |

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Importance of Magnesium in Plants

  • मैग्नीशियम पौधों में होने वाली फोटोसिंथेसिस (पौधों की खाना बनाने की प्रक्रिया) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा यह पत्तियों के हरेपन का प्रमुख तत्व है। मैग्नीशियम (Mg) सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है,जो पौधों में कई एंजाइम गतिविधियों और पादप ऊतकों को बनाने में महत्वपूर्ण  भूमिका निभाता है।
  • मैग्नीशियम की मात्रा मिट्टी में औसतन 0.5 – 40  ग्राम / किलोग्राम तक होती है, परन्तु वर्तमान समय में अधिकांशतः मिट्टी में मैग्नीशियम की मात्रा 3 -25  ग्राम / किलोग्राम तक पायी जाती है |
  • मैग्नेशियम की कमी के पहले लक्षण नीचे की पुरानी पत्तियों पर दिखाई देते है, पत्तियों की शिराएं गहरे रंग एवं शिराओं के बीच का भाग पीले  लाल रंग का हो जाता है ।
  • भूमि में नाइट्रोजन की कमी, मैग्नेशियम की कमी को बढ़ा देती है ।
  • खेत की तैयारी करते समय बेसल डोज के साथ 10 किलोग्राम/एकड़ की दर से मैग्नीशियम सल्फेट ( 9.5 %) की मात्रा को मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाकर दे|
  • मैग्नेशियम की कमी को दूर करने के लिये 70-80 ग्राम/एकड़  की दर से मैग्नेशियम सल्फेट का घोल बनाकर दो बार सप्ताहिक अंतराल से पत्तियों पर छिड़काव करें।
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Nutrient management in maize

  • मक्का की अधिक उपज लेने के लिए संतुलित उर्वरको की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।
  • मक्का की फसल लेने से 15-18 दिन पहले खेत में 8-10 टन/एकड़ की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद मिला दे।
  • बुवाई के समय यूरिया @ 65 किलो/एकड़ + डीएपी @ 35 किलो/एकड़ + एमओपी @ 35 किलो/एकड़ + कार्बोफ्यूरान @ 5 किलो/एकड़ की दर से जमीन से दे।
  • बुवाई के 15-20 दिन बाद मैग्नेशियम सल्फेट @ 10 किलो/एकड़ + जिंक सल्फेट @ 07-10 किलो/एकड़ + माईकोरायजा @ 04 किलो/एकड़ की दर से दे।
  • यदि मक्के की बुवाई बेड प्रणाली से की जाती है तब सूक्ष्म पोषक तत्वों के मिश्रण को फर्रों के बीच डाले |

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Soybean Field preparation

  • बेहतर बीज अंकुरण के लिए, मिट्टी को अच्छी तरह से जुताई किया जाना चाहिए,
  • 2-3 साल में एक बार गहरी जुताई करवाए |
  • पिछली फसल की कटाई के बाद एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2-3 जुताई हैरो की सहायता से करे|
  • यदि मिट्टी में नमी की मात्रा कम हो, तो बुवाई से पूर्व सिंचाई के साथ खेत में प्रति एकड़ 4 किलोग्राम स्पीड कम्पोस्ट डालें और इसकी बुआई के लिए तैयार करें, आखिरी में पाटा चलाकर खेत को समतल बना लें।

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