Irrigation Water quality

उपज और फसलों की मात्रा, मिट्टी की उत्पादकता के रखरखाव, और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सिंचाई के लिए उपयोग की जाने वाली पानी की गुणवत्ता आवश्यक है। उदाहरण के लिए, मिट्टी, पूर्व के भौतिक और यांत्रिक गुणों, मिट्टी की संरचना (समुच्चय की स्थिरता) और पारगम्यता सिंचाई के पानी में विद्यमान विनिमय आयनों के प्रकार के प्रति बहुत संवेदनशील हैं। रासायनिक प्रयोगशाला जांच द्वारा सिंचाई की गुणवत्ता का सबसे अच्छा निर्धारण किया जा सकता है। कृषि में पानी के उपयोग की उपयुक्तता निर्धारित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक निम्नलिखित हैं: ·

पी एच मान ·         लवणीयता स्तर·         सोडियम स्तर (सोडियम अवशोषण अनुपात)·         कार्बोनेट और बायकार्बोनेट कैल्शियम और मैग्नीशियम अवयव के संबंध में·         अन्य ट्रेस तत्व·         विषाक्त आयन·         पोषक तत्त्व·         मुक्त क्लोरीन

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Cultivation of healthy Onion Crop

किसान का नाम:- जगदीश लोधी

गाँव :- चावनी

तहसील :- तराना, जिला:- उज्जैन

किसान भाई जगदीश जी ने 1 एकड़ में प्याज लगाई है और यह पुरी तरह ग्रामोफ़ोन टीम के मार्गदर्शन में खेती कर रहे है | जगदीश भाई का कहना हे कि अब मुझे खेती से सम्बंधित सामान घर बैठे मिल जाता हे वो भी एक्सपर्ट सलाह के साथ जिससे मेरे पैसे व समय दोनों की बचत हो रही है तथा फसल भी पहले से स्वस्थ है यह सुविधा किसान के लिए बहुत उपयोगी है |

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Role of Phosphorus in Plants

सभी जीवों के लिए फास्फोरस (P) आवश्यक है| पौधों को सामान्य विकास और परिपक्वता के लिए फास्फोरस होना चाहिए। फास्फोरस पौधों में प्रकाश संश्लेषण, श्वसन, ऊर्जा भंडारण और हस्तांतरण, कोशिका विभाजन, कोशिका विकास और कई अन्य प्रक्रियाओं में एक भूमिका निभाता है। फास्फोरस डीएनए का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो सभी जीवित चीजों की आनुवांशिक “स्मृति इकाई” है| फास्फोरस एटीपी का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो पौधों की “ऊर्जा इकाई” है | इस प्रकार, सभी पौधों की सामान्य स्वास्थ्य और शक्ति के लिए फास्फोरस आवश्यक है। फॉस्फोरस के साथ जुड़े कुछ विशिष्ट वृद्धि कारक हैं:• जड़ विकास को प्रेरित करना• तना एवं शाखाओ की शक्ति बढ़ाना• बेहतर फूल निर्माण और बीज उत्पादन• अधिक समान और जल्दी फसल परिपक्वता• दलहन में नाइट्रोजन स्थिरीकरण क्षमता बढ़ाना• फसल की गुणवत्ता में सुधार• पौधे की रोगों के लिए प्रतिरोध में वृद्धि• पूरे जीवन चक्र के दौरान विकास में मदद करता है|

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Growing Healthy Garlic Crop

किसान का नाम:-  श्री सालिकराम जी चंदेल

ग्राम:- धन्या

तहसील:- देपालपुर, जिला:- इंदौर

राज्य:- मध्य प्रदेश

जैविक उर्वरक मायकोराईजा(VAM):- मायकोराईजा फफूंद मायसेलिया और पौधे की जड़ों के बीच गठबंधन है। VAM एक कवक है जो पौधों की जड़ों में प्रवेश करता है जिससे उन्हें मिट्टी से पोषक तत्व लेने में मदद मिलती है।VAM मुख्य रूप से फास्फोरस, जस्ता और सल्फर पोषक तत्वों को लेने में मदद करता है|  VAM हाईफा पौधों के जड़ो  के आसपास नमी बनाए रखने में मदद करता है। ग्रामोफोन के सुझाव पर जैविक उर्वरक माईकोराईज़ा का उपयोग लहसुन में किया है जिससे फसल स्वस्थ एवं कीट -बीमारियों रहित है तथा किसान श्री सालिकराम जी खुश है |

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Subsidy on Agricultural Machinery and Equipments Part-2

कृषि मशीनरी और उपकरण पर अनुदान भाग-2 :-

कृषि मशीनरी का नाम अधिकतम स्वीकार्य अनुदान (एससी, एसटी, छोटे और सीमान्त किसानों, महिलाओं आदि के लिए) अधिकतम स्वीकार्य अनुदान (अन्य के लिए)
भूमि विकास, जुताई और सीड बैड तैयारी उपकरण
एमबी प्लाऊ, डिस्क प्लाऊ, कल्टीवेटर, हैरो, लेवलर ब्लेड, केज व्हील ,फेर्रो ओपनर, रिज़र, वीड स्लेशर, लेज़र लैंड लेवलर, रिवरसबल मेकैनिकल प्लाऊ 1)              20 BHP से कम 15000/- रु.2)              20-35 BHP 19000/- रु. 1). 20 BHP से कम 12000/- रु.2.) 20-35 BHP 15000/- रु.
रोटोवेटर, रोटोपडलर, रिवरसेबल हाईड्रोलिक प्लाऊ 1)      20 BHP से कम 35000/- रु.2)      20-35 BHP 44000/- रु. 1.)    20 BHP से कम 28000/- रु.2.)    20-35 BHP 35000/- रु.
 डीजल प्लाऊ मशीन 20     BHP से कम 8000/- रु. 20-35 BHP 10000/- रु. 20 BHP से कम 6000/- रु.20-35 BHP 8000/- रु.
बुआई, रोपण, कटाई और खुदाई उपकरण
जीरो टिल सीड कम फ़र्टिलाइज़र ड्रिल, रेज्ड बैड प्लान्टर, सीड ड्रील, आलू डिग्गर, ट्रेक्टर चालित रिप्पर, प्याज हार्वेस्टर, पोस्ट होल डिग्गर, आलू प्लान्टर, मुंग फली डिग्गर, स्ट्रिप टिल ड्रिल, राईस स्ट्रा चोपर, गन्ना कटर /स्ट्रिपर/ प्लान्टर, मल्टी क्राप प्लान्टर,  जीरो टिल मल्टी क्राप प्लान्टर, रिज फेर्रो प्लान्टर 1)      20 BHP से कम 15000/- रु. 2)      20-35 BHP 19000/- रु. 1). 20 BHP से कम 12000/- रु.2.) 20-35 BHP 15000/- रु.
टर्बो सीडर मेंयुमेट्रिक, मेंयुमेट्रिक सब्जी ट्रांसप्लान्टर, मेंयुमेट्रिक सब्जी सीडर, हैप्पी सीडर, एक्वा फर्टि सीड ड्रील, रेज्ड बैड प्लान्टर, मल्चर प्लास्टिक मल्च लेईंग मशीन, बीज उपचार ड्रम, सीड कम फ़र्टिलाइज़र ड्रिल 1.0)  20 BHP से कम 35000/- रु.2.0)  20-35 BHP 44000/- रु. 1.)    20 BHP से कम 28000/- रु.2.)    20-35 BHP 35000/- रु.
अंतर कर्षण उपकरण
ग्रास/ वीड /स्लेसर, रिप्पर स्ट्रा चोपर, 1)    20 BHP से कम 15000/- रु. 2)      20-35 BHP 19000/- रु. 1). 20 BHP से कम 12000/- रु.2.) 20-35 BHP 15000/- रु.
पावर वीडर( इंजन चालित ) 1)      2 HP से कम 15000/- रु. 2)      2 HP से अधिक 19000/- रु. 1). 2 HP से कम 15000/- रु.2.) 2 HP से अधिक  19000/- रु.
कटाई एवं गहाई उपकरण (3 HP से कम के इंजन/ इलेक्ट्रिक मोटर और 20 BHP से कम के ट्रेक्टर द्वारा संचालित)
मुंग फली फली स्ट्रिपर, थ्रेसर/मल्टी क्रॉप थ्रेसर, धान थ्रेसर, चाफ कटर, ब्रुश कटर, विन्नोविंग फैन रु. 20,000/-

 

रु. 16,000/-
कटाई एवं गहाई उपकरण (3-5 HP से कम के इंजन/ इलेक्ट्रिक मोटर और 20-35 BHP से कम के ट्रेक्टर द्वारा संचालित)
रिप्पर, मोवर, मेज़ शैलर, स्पाइरल ग्रेडर, इनफील्डर, मोवर शरेड्डर चाफ कटर रु. 20,000/- से 25,000/- रु. 16,000/- से 20,000/-
अवशेष प्रबंधन/ है और फोरेज़ के लिए उपकरण
गन्ना थ्रश कटर, नारियल फ्रोंड चोपर, है रेक, ब्लासर (गोल), ब्लासर (आयताकार), वुड चिप्पर्स, गन्ना रेटून मैनेजर, कपास स्टाल्क अपरूटर, स्ट्रा रिप्पर 1)      2 HP से कम 15000/- रु. 2)      2 HP से अधिक 19000/- रु. 1). 2 HP से कम 15000/- रु.2.) 2 HP से अधिक  19000/- रु.

 

अधिक जानकारी के लिए उद्यानिकी विभाग/कृषि विभाग  में वरिष्ठ उधान विकास अधिकारी/ वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से संपर्क करे |

http://mpkrishi.mp.gov.in/hindisite/suvidhaye.aspx

http://www.mphorticulture.gov.in/schemes.php

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Role of nitrogen in plants

पौधों में नाईट्रोजन की भूमिका:- नाइट्रोजन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह क्लोरोफिल का एक प्रमुख घटक है, जो कि पौधों द्वारा पानी और कार्बन डाइऑक्साइड (यानी, प्रकाशसंश्लेषण) से शर्करा बनाने के लिए सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। यह अमीनो एसिड का एक प्रमुख घटक है, प्रोटीन खंड का निर्माण करता है| प्रोटीन के बिना, पौधे सूखते और मरते है|  कुछ प्रोटीन संयंत्र कोशिकाओं में संरचनात्मक इकाइयों के रूप में कार्य करते हैं जबकि अन्य एंजाइमों के रूप में कार्य करते हैं, जिससे जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं पर जीवन आधारित होता है। नाइट्रोजन ऊर्जा हस्तांतरण यौगिकों का एक घटक है, जैसे कि एटीपी (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट)। एटीपी कोशिकाओं को चयापचय में जारी ऊर्जा का संरक्षण और उपयोग करने की अनुमति देता है। अंत में, नाइट्रोजन, न्यूक्लिक एसिड का एक महत्वपूर्ण घटक है जैसे डीएनए, आनुवांशिक पदार्थ जो कि कोशिकाओं (और आखिरकार पूरे पौधे) को विकसित और पुन: उत्पन्न करने की अनुमति देता है। नाइट्रोजन के बिना, कोई जीवन नहीं होगा जैसा कि हम जानते हैं।

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पाला, उससे होने वाली हानि एवं बचाव

डॉ. शंकर लाल गोलाडा

कैसै करें पाले और शीत लहर से फसलों का बचाव

पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां एवं फूल झुलसे हुए दिखाई देते है। एवं बाद में झड़ जाते हैं। यहां तक कि अधपके फल सिकुड़ जाते है। उनमें झाुर्रियां पड़ जाती हैं एवं कलिया गिर जाते है। फलियों एवं बालियों में दाने नहीं बनते हैं एवं बन रहे दाने सिकुड़ जाते है। दाने कम भार के एवं पतले हो जाते है रबी फसलों में फूल आने एवं बालियां/ फलियां आने व उनके विकसित होते समय पाला पडऩे की सर्वाधिक संभावनाएं रहती है। अत: इस समय कृषकों को सतर्क रहकर फसलों की सुरक्षा के उपाय अपनाने चाहिये। पाला पडऩे के लक्षण सर्वप्रथम आक आदि वनस्पतियों पर दिखाई देते है। पाले का पौधों पर प्रभाव शीतकाल में अधिक होता है।

कब गिरेगा पाला : – जब तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिर जाता है तथा हवा रूक जाती है, तो रात्रि को पाला पडऩे की संभावना रहती है। वैसे साधारणत: पाला गिरने का अनुमान इनके वातावरण से लगाया जा सकता है। सर्दी के दिनों में जिस रोज दोपहर से पहले ठंडी हवा चलती रहे एवं हवा का तापमान जमाव बिन्दु से नीचे गिर जाये। दोपहर बाद अचानक हवा चलना बन्द हो जाये तथा आसमान साफ रहे, या उस दिन आधी रात से ही हवा रूक जाये, तो पाला पडऩे की संभावना अधिक रहती है। रात को विशेषकर तीसरे एवं चौथे प्रहर में पाला पडऩे की संभावना रहती है। साधारणतया तापमान चाहे कितना ही नीचे चला जाये, यदि शीत लहर हवा के रूप में चलती रहे तो कोई नुकसान नहीं होता है। परन्तु यही इसी बीच हवा चलना रूक जाये तथा आसमान साफ हो तो पाला पड़ता है, जो फसलों के लिए नुकसानदायक है।

शीत लहर एवं पाले से फसल की सुरक्षा के उपाय : –

खेतों की सिंचाई जरूरी : – जब भी पाला पडऩे की सम्भावना हो या मौसम पूर्वानुमान विभाग से पाले की चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई दे देनी चाहिए। जिससे तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है सिंचाई करने से 0. 5 – 2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान मे बढ़ोतरी हो जाती हैं ।

पौधे को ढकें : – पाले से सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में होता है। नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अन्दर का तापमान 2.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। जिससे सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधे पाले से बच जाते हैं। पॉलीथीन की जगह पर पुआल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिण पूर्वी भाग खुला रहे, ताकि पौधों को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे।

खेत के पास धुंआ करें : – अपनी फसल को पाले से बचाने के लिए आप अपने खेत में धुंआ पैदा कर दें, जिससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिर पाता और पाले से होने वाली हानि से बचा जा सकता है।

रासायनिक उपचार : – जिस दिन पाला पडऩे की सम्भवना हों उन दिनों फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिये। इस हेतु एक लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़कें। ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगें। छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर व पाले की संभावना बनी रहे तो गंधक के तेजाब को 15 से 15 दिन के अन्तर से दोहराते रहें।

>>>सल्फर 90 % WDG पाउडर को 3 किलोग्राम 1 एकड़ में छिड़काव करने के बाद सिंचाई करें ।

>>> सल्फर 80% WDG पाउडर को 40 ग्राम प्रति पम्प (15 लीटर पानी) में मिलाकर स्प्रे करें ।

दीर्घकालिन उपाय : – फसलों को बचाने के लिये खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर तथा बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी अरडू एवं जामुन आदि लगा दिये जाये तो पाले और ठण्डी हवा के झोंको से फसल का बचाव हो सकता हैं ।

Source:- https://www.krishakjagat.org

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Management of Bark Eating Caterpillar in Guava

अमरुद की छाल खाने वाली ईल्ली:- इस कीट के संक्रमण की पहचान शिराओं, शाखाओं, तनों एवं मुख्य तने पर बनी अनियमित सुरंग एवं पेच जिस पर जाले के साथ खाई हुई लकड़ी का भूरा एवं कीट का मल लगा होता है, से होती है| छेद विशेष रूप से शिराओं और शाखाओं के जोड़ों पर भी देखा जा सकता है| युवा शाखायें सूखी और मर जाते हैं जिससे पौधे को बीमार दिखते हैं।

प्रबंधन:-·

  •  इस कीट के संक्रमण को रोकने के लिए बाग साफ और स्वस्थ रखें।
  • शुरुआती संक्रमण को पहचानने के लिए समय समय पर सुखी कोमल शिराएँ देखे|·
  •  शुरुआती संक्रमण में ईल्ली द्वारा बनाए गए छेदों में लोहे का तार डाल कर ईल्ली को मार देना चाहिए| ·
  • अधिक संक्रमण होने पर जालों को हटा कर कपास की रूई के फोये को डायक्लोरोवास 0.05% के घोल में डूबा कर इनके बने छेद में भर देना चाहिए या मोनोक्रोटोफोस 0.05% या क्लोरोपाईरीफास 0.05% इंजेक्शन से डाल कर मिट्टी से छेद बंद करे|

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Subsidy on Agricultural Machinery and Equipments Part-1

कृषि मशीनरी और उपकरण पर अनुदान भाग-1 :-

कृषि मशीनरी का नाम अधिकतम स्वीकार्य अनुदान (एससी, एसटी, छोटे और सीमान्त किसानों, महिलाओं आदि के लिए ) अधिकतम स्वीकार्य अनुदान (अन्य के लिए)
ट्रेक्टर
08 से 20 HP 1 लाख रु 75,000/- रु.
20 से 70 HP 1.25 लाख रु 1 लाख रु.
पॉवर टिल्लर
8 BHP से कम 50,000/- रु. 40,000/- रु.
8 BHP से अधिक 75,000/- रु. 60,000/- रु.
राईस ट्रांसप्लान्टर
सेल्फ प्रोपलड राईस ट्रांसप्लान्टर (4 पंक्ति) 94,000/- रु. 75,000/-
सेल्फ प्रोपलड राईस ट्रांसप्लान्टर (4-8 पंक्तियों से अधिक )सेल्फ प्रोपलड राईस ट्रांसप्लान्टर (8-16 पंक्तियों से अधिक ) 2 लाख रु. 2 लाख रु.
सेल्फ प्रोपलड मशीनरी
रिप्पर-कम-बाइंडर 1.25 लाख रु. 1 लाख रु.
ऑटोमैटिक यूरिया ब्रिकेटिंग डीप प्लेसमेंट/ यूरिया एप्लीकेशन मशीन 63,000/- रु. 50,000/-
विशिष्ट सेल्फ प्रोपलड मशीनरी
रिप्पर एवं पोस्ट होल डिग्गर/ औगुर एवं पेंयुमैटिक/ अन्य प्लान्टर 63,000/- रु. 50,000/- रु.
सेल्फ प्रोपलड उद्यानिकी मशीनरी
फ्रूट प्लक्करस, ट्री प्रुनर्स, फ्रूट हार्वेस्टर, फ्रूट ग्रेडरस, ट्रैक ट्रोली, नर्सरी मीडिया फिलिंग मशीन, मल्टीपरपस हाइड्रोलिक सिस्टम, पावर आपरेटड उद्यानिकी टूल्स फॉर प्रूनिंग, बन्डिंग, ग्रेडिंग, शेयरिंग आदि| 1.25 लाख रु. 1 लाख रु.

 

अधिक जानकारी के लिए उद्यानिकी विभाग/कृषि विभाग  में वरिष्ठ उधान विकास अधिकारी/ वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से संपर्क करे |

http://mpkrishi.mp.gov.in/hindisite/suvidhaye.aspx

http://www.mphorticulture.gov.in/schemes.php

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Subsidy on Pomegranate cultivation

अनार क्षेत्र विस्तार:- परियोजना अंतर्गत अनार टिश्यु कल्चर पौध रोपण मय ड्रीप इरीगेशन हेतु प्रति हेक्टेयर निर्धारित इकाई लागत राशि रु. 1.50 लाख पर 50% अनुदान राशि रुपये 0.75 लाख का प्रावधान है| अनुदान 3 वर्षो में 60:20:20 के मान से प्रथम वर्ष क्रमश: राशि रु. 45 हजार एवं अनुरक्षण पर द्वितीय एवं तृतीय वर्ष 15-15 हजार 80% पौधे जीवित होने पर देय है| प्रति कृषक 0.5 हेक्टेयर से अधिकतम 5.00 हेक्टेयर तक पौध रोपण की पात्रता है| योजना समस्त जिलो में लागू है| आवेदन के लिए ऑन लाईन पंजीयन करवाए और वरिष्ठ उधान विकास अधिकारी से संपर्क करे|

http://www.mphorticulture.gov.in/schemes.php

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