लक्षण:-
- पहले पुरानी पत्तियों पर आते है इसके बाद पोधे के अन्य भाग पर|
- पत्तियों की दोनी सतहों पर चूर्ण बनता है|
- इसके बाद कोमल तनों, फली आदि पर चूर्णिल धब्बे बनते है |
- पौधे की सतह पर सफ़ेद चूर्ण दिखाई देता है| फल या तो लगते नहीं है या छोटे रह जाते है|
- अंतिम अवस्था में चूर्णिल वृद्धि फलियों को ढक लेती है जिससे वह बाज़ार में बिकने के लायक नहीं रहते है|
प्रबन्धन:-
- देर से बुआई ना करे|
- प्रतिरोधी किस्म का उपयोग करे जैसे अर्का अजीत, PSM-5, जवाहर मटर-4, जेपी-83, जेआरएस-14 |
- घुलनशील सल्फर 50% WP 3 ग्राम प्रति लीटर पानी या डायनोकेप 48% ईसी 2 मिली प्रति ली पानी का स्प्रे दो से तीन बार 10 दिन के अंतराल में करे |
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