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इस रोग के लक्षण सबसे पहले पुरानी पत्तियों पर आते हैं और फिर धीरे धीरे पौधे के अन्य भाग पर दिखाई देते हैं ।
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इसके कारण मटर की पत्तियों की दोनों सतहों पर पाउडर जमा हो जाता है। इसके बाद कोमल तनों, फली आदि पर चूर्णिल धब्बे बनते हैं। फल या तो लगते नहीं है या छोटे रह जाते हैं।
रासायनिक उपचार:
हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या सल्फर 80% WDG @ 500 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG@500 ग्राम/एकड़ या मैक्लोबुटानिल 10% WP @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।जैविक उपचार:
जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम की दर छिड़काव करें।
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