मक्का की फसल में बुआई के बाद उर्वरक प्रबंधन से मिलेंगे कई लाभ

  • मक्का दरअसल गेहूँ के बाद उगाई जाने वाली दूसरी महत्वपूर्ण फसल है। यह एक बहुपयोगी फसल है, क्योंकि मनुष्य और पशुओं के आहार का प्रमुख अवयव होने के साथ ही औद्योगिक दृष्टिकोण से भी यह महत्वपूर्ण होती है।

  • मक्का की खेती तीन ऋतुओं में की जाती है, खरीफ (जून से जुलाई), रबी (अक्टूबर से नवम्बर) एवं ज़ायद (फरवरी से मार्च)। खरीफ का समय मक्का की बुआई के लिए खेतों को तैयार करने का उचित समय है। मानसून का आरम्भ अर्थात वर्षा के आगमन के साथ मक्का की बुआई कर देनी चाहिए।

  • मक्का की अच्छी उपज के लिए बुआई के 15-20 दिनों की अवस्था में मिट्टी उपचार के रूप में करने से मक्का की फसल की वृद्धि बहुत अच्छी होती है। इस समय उर्वरक प्रबधन के लिए यूरिया @ 35 किलो + मैगनेशियम सल्फेट @ 5 किलो + ज़िंक सल्फेट @ 5 किलो प्रति एकड़ की दर से भूमि में मिलाएं।

  • यूरिया: मक्का की फसल में यूरिया नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्त्रोत है। इसके उपयोग से पत्तियों में पीलापन एवं सूखने की समस्या नहीं आती है। यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज़ करता है।

  • मैग्नीशियम सल्फेट: मक्का की फसल में मेग्नेशियम सल्फेट के प्रयोग से हरियाली बढ़ती है एवं प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में तेज़ी आती है और अंततः उच्च पैदावार के साथ फसल की गुणवत्ता भी बढ़ती है।

  • जिंक सल्फेट: पौधों की सामान्य बढ़वार के लिए जिंक प्रमुख सूक्ष्म पोषक तत्व हैं। इसके उपयोग से, मक्का के पौधे में वृद्धि अच्छी होती है और फसल की उपज बढ़ती है।

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