प्याज़ में आ रहे बैंगनी धब्बा रोग के लक्षणों की ऐसे करें पहचान व नियंत्रण

प्याज में आने वाले बैगनी धब्बा रोग को अंग्रेजी में Purple blotch के नाम से भी जाना जाता है। यह एक मिट्टी जनित रोग है। इस रोग के कारण पत्तियों और डंठलों पर छोटे, धँसे हुए, सफेद धब्बों के साथ बैंगनी रंग के केंद्र बन जाते हैं। इसके घाव पत्तियों/डंठल को घेर लेते हैं और उनके गिरने का कारण बन सकते हैं। संक्रमित पौधे बल्ब विकसित करने में विफल हो जाते हैं।

रोकथाम के उपाय:

  • बुआई के लिए स्वस्थ बीजों का प्रयोग करें।

  • 2-3 साल का फसल चक्र अपनाएँ एवं उचित जल निकास की व्यवस्था करें।

  • नाइट्रोजन और फॉस्फोरस युक्त उर्वरकों की अनुसंशित मात्रा का उपयोग करें।

  • बुआई के पूर्व बीजों को गर्म पानी में 20 मिनट के लिए 50 डिग्री सेल्सियस पर उपचारित करें साथ ही प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।

मृदा उपचार: इस रोग से सुरक्षा के लिए, बुआई के पूर्व मिट्टी में ट्राइकोडर्मा विरिडी 500 ग्राम को 4 से 5 टन अच्छे से सड़ी हुई गोबर की खाद के साथ मिलाकर प्रति एकड़ समान रूप से फैलाएं। 30 दिन के बाद ट्राइकोडर्मा विरिडी 500 ग्राम/एकड़ का पुनः उपयोग करें।

रासायनिक नियंत्रण:

बीज उपचार: बुआई के पूर्व बीजों को करमानोवा 2.5 ग्राम/किलो ग्राम बीज के हिसाव से उपचारित करें।

फसल में रोग के लक्षण दिखाई देने पर रोकथाम के उपाय: रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखाई देने पर हेक्साकोनाज़ोल 5% SC (नोवाकोन), @ 400 मिली + सिलिकोमैक्स (स्टीकर) @ 50 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें या किटाज़िन 48% ईसी @ 200 मिली +  सिलिकोमैक्स (स्टीकर), @ 50 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें या फिर जैविक नियंत्रण के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरसेंस (मोनास कर्ब @250 ग्राम 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें)

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