पशुओं में होने वाले कुछ प्रमुख रोगों में से एक है लंगड़ा बुखार। लंगड़ा बुखार का सही समय पर इलाज नहीं करने पर पशुओं की मृत्यु तक हो सकती है। लंगड़ा बुखार को ब्लैक क्वार्टर रोग, कृष्णजंघा रोग, लंगड़िया रोग, जहरबाद रोग, एकटंगा रोग आदि कई नामों से जाना जाता है। इस रोग से छोटी आयु की गाय ज्यादा प्रभावित होती है। लंगड़ा बुखार के लक्षण नजर आने के 24 घंटों के अंदर पशुओं की मृत्यु हो सकती है। इस रोग का प्रकोप अप्रैल से जून महीने में अधिक होता है।
पशुओं में लंगड़ा बुखार के लक्षण
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पशुओं का शारीरिक तापमान बढ़ जाता है।
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पशुओं के पैर एवं पीठ के मांस में सूजन आ जाती है।
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पैर में दर्द होने के कारण पशु लंगड़ा कर चलने लगते हैं।
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पशु अधिक समय बैठे या लेटे रहते हैं।
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कुछ समय बाद सूजन ठंडा हो जाता है और सूजन वाला भाग सड़ने लगता है।
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सड़न वाले स्थान को दबाने पर चर-चर की आवाज आती है।
लंगड़ा बुखार से बचाव के उपाय
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4 महीने से ले कर 3 वर्ष तक के सभी पशुओं को प्रति वर्ष लंगड़ा बुखार का टीका लगवाएं।
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पशुओं को लंगड़ा बुखार से बचाने के लिए पशु निवास की नियमित साफ-सफाई करें।
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रोग से प्रभावित पशुओं को स्वस्थ्य पशुओं से अलग रखें।
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