-
पौधों को प्रारंभिक अवस्था में उचित देखरेख के लिए जिस छोटे स्थान पर रखा जाता है उसे पौधघर या नर्सरी कहते है।
-
पौधघर के लिए स्थान चयन – पौध घर की भूमि आसपास के स्थान से ऊंची हो, भूमि उपजाऊ व विकार रहित हो, पर्याप्त मात्रा में सूर्य प्रकाश उपलब्ध हो, सिंचाई की स्थायी व्यवस्था हो, प्रदूषण रहित स्थान हो, सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था हो, स्थानीय एवं सस्ते मजदूरों की उपलब्धता हो। इन सभी बातों का ध्यान पौधघर के लिए स्थान चयन करते समय रखें।
-
उपजाऊ मिट्टी, रेत और केंचुआ खाद क्रमशः 2:1:1 में मिश्रित कर उपयोग में ले।
-
बीज बोने की क्यारियाँ 3 मीटर लम्बी एवं 1 मीटर चौड़ी तथा 10 – 15 सेमी ऊंची उठी हुई आदर्श मानी जाती है।
-
बीज उपचार – बीजों को बुवाई के पूर्व करमानोवा (कार्बेन्डाजिम12% + मैनकोज़ेब 63% डब्ल्यूपी) @ 3 ग्राम/किलोग्राम बीज़ की दर से उपचारित करें।
-
सिंचाई – शरद एवं ग्रीष्म ऋतु में अंकुरण के पहले प्रतिदिन सायंकाल हजारे से सिंचाई करना चाहिए।
-
निराई गुड़ाई- खरपतवारों को हाथ से या खुरपी से निकाल देना चाहिए एवं समय समय पर हल्की गुड़ाई करें।
-
पौध संरक्षण – फफूंदी जनित रोग एवं कीट प्रबंधन के लिए बुवाई के 20 -25 दिन बाद संचार (मेटलैक्सिल 8% + मैंकोज़ेब 64% डब्ल्यूपी) @ 60 ग्राम + पोलिस (फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% डब्ल्यू जी) @ 5 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर अच्छे से ड्रेंचिंग करें।
Shareफसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।




