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धान की फसल की बुआई नर्सरी में की जाती है और नर्सरी से धान की मुख्य खेत में रोपाई की जाती है। आइये जानते हैं धान की रोपाई से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां।
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धान पौध की रोपाई विधि: बुआई के 20 से 30 दिनों बाद धान की पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है। रोपाई का उपयुक्त समय मध्य जून से मध्य जुलाई तक है। रोपाई के पूर्व नर्सरी में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए, ऐसा करने से पौध की जड़ नहीं टूटती, वृद्धि अच्छी होती है और पौध आसानी से लग जाती है। पौध को जमीन से निकालने के बाद सीधे धूप मे नहीं रखना चाहिये।
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पौध उपचार: नर्सरी से धान की पौध को निकाल कर खेत में रोपित करने से पहले पौध का उपचार करना अतिआवश्यक है, अतः पौध की जड़ों के अच्छे विकास के लिए 5 ग्राम माइकोरायज़ा प्रति लीटर की दर से घोल बना लें। पानी की मात्रा आवश्यकतानुसार हीं रखें। धान की पौध की जड़ों को इस के घोल में 10 मिनट के लिए डूबाकर रखें। यह प्रक्रिया अपनाने के बाद ही खेत में पौध का रोपण करना चाहिए।
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मायकोराइज़ा से उपचार करने से, पौधों में गलन जैसी समस्या नहीं होती है और धान की पौध को मुख्य खेत में रोपाई के बाद अच्छी वृद्धि करने में सहायता मिलती है।
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