टमाटर की मुख्य खेत में रोपाई के बाद इस पहले छिड़काव से मिलेंगे कई लाभ

  • टमाटर के पौध की मुख्य खेत में रोपाई के बाद, फसल में रोगों व कीटों का प्रकोप होने की संभावना होती है। इनसे टमाटर की फसल की रक्षा करना बहुत आवश्यक होता है।

  • टमाटर की रोपाई के 10-15 दिनों में कवक रोग जैसे झुलसा, पत्ती धब्बा, उकठा रोग लगने की पूरी संभावना रहती है। कीट प्रकोप की बात करें तो रस चूसक कीट जैसे थ्रिप्स, एफिड, जेसिड, सफेद मक्खी, मकड़ी इत्यादि प्रमुख हैं।

  • टमाटर की रोप को मुख्य खेत में लगाया जाता है। इस अवस्था में पौधे को अच्छे से अपनी जड़ों को भूमि में फैलाने के लिए पोषक तत्व की आवश्यकता होती है। इसके लिए छिड़काव के रूप मे सूक्ष्म पोषक तत्व का प्रबधन करना बहुत आवश्यक है।

  • इन्ही कीट, कवक एवं जीवाणु रोगों से टमाटर की फसल की रक्षा के लिए एवं फसल की अच्छी बढ़वार के लिए छिड़काव करना बहुत आवश्यक होता है।

  • इसके लिए सीवीड एक्सट्रेक्ट + एमिनो एसिड + फल्विक एसिड 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें। इससे टमाटर की फसल में आवश्यक पोषक तत्व की पूर्ति एवं अच्छी बढ़वार होती है।

  • कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP @ 400 ग्राम/एकड़ की दर से कवक एवं जीवाणु जनित रोगों की रोकथाम लिए छिड़काव करें या जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • थियामेंथोक्साम 25% WG @ 100 ग्राम/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 240 मिली/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से रस चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए छिड़काव करें।

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