गैर दलहनी फसलों में नाइट्रोजन कल्चर का महत्व

  • सभी प्रकार के पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए मुख्यतः 17 तत्वों की आवश्यकता होती है, जिनमें नाइट्रोजन अति आवश्यक तत्व हैं।
  • गैर दलहनी फसलें जैसे गेहूँ, मक्का, कपास, सब्ज़ियाँ, धान, गन्ना आदि की अच्छे उत्पादन के लिए नाइट्रोज़न आवश्यक है।  
  • नाइट्रोजन स्थिरीकरण के लिए प्राकृतिक रूप से मिट्टी में कुछ ऐसे जीवाणु पाये जाते हैं, जो वायुमंडलीय नत्रजन को अमोनिया में बदल देते हैं। 
  • एजोटोबेक्टर, एजोस्पीरिलम, ऐसीटोबैक्टेर या सभी नाइट्रोज़न स्थिरीकरण बेक्टेरिया है इनका प्रयोग करने से 20 से 30 किग्रा० नत्रजन की बचत भी की जा सकती है।
  • इनके उपयोग से फ़सलों की 10 से 20 प्रतिशत तक पैदावार में बढ़ोत्तरी होती है तथा फलों एवं दानों का प्राकृतिक स्वाद बना रहता है।
  • इनके प्रयोग करने से अंकुरण शीघ्र और स्वस्थ होते हैं तथा जड़ों का विकास अधिक एवं शीघ्र होता है।
  • फसलें भूमि से फास्फोरस का अधिक प्रयोग कर पाती हैं जिससे किल्ले अधिक बनते हैं। ऐसे जैव उर्वरकों का प्रयोग करने से जड़ एवं तने का अधिक विकास होता है। 
  • इन जैव उर्वरकों के जीवाणु बीमारी फैलाने वाले रोगाणुओं का दमन करते हैं, जिससे फसलों का बीमारियों से बचाव होता है तथा पौधों में रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है।
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