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गेहूँ की फसल में खरपतवार एक बड़ी समस्या है। खरपतवारों के कारण फसल उत्पादन में 25 से 35% तक की कमी देखी गई है। जो पोषक तत्व फसलों को दिए जाते हैं, वह पोषक तत्व खरपतवार के द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं। जिससे मुख्य फसल कमजोर हो जाती है।
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गेहूँ में मुख्यतः दो तरह के खरपतवारों की समस्या होती है जैसे सकरी पत्ती वाले खरपतवार मोथा, कांस, जंगली जई, गेहूंसा (गेहूं का मामा) आदि तथा चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे बथुआ, सेंजी, कासनी, जंगली पालक, कृष्णनील, हिरनखुरी आदि।
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बुवाई के 30 से 40 दिन के अंदर जब खरपतवार 2 से 5 पत्तों की अवस्था में होते हैं तब खरपतवार नाशक का छिड़काव करें। छिड़काव के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। छिड़काव में फ्लैट फैन या फ्लड जेट नोजल का इस्तेमाल करें। 10 से 12 टंकी प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।
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चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण के लिए, नोवामाईन 58 (2,4-डी डाइमिथाइल एमाइन साल्ट 58% एसएल) @ 300-500 मिली या कॉनवो (मेटसल्फ्युरोन-मिथाइल 20 % डब्ल्यूपी) @ 8 ग्राम, प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
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