किसानों के लिए खेती करना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। अक्सर बदलते मौसम की वजह से किसान भाईयों को नुकसान उठाना पड़ता है। कई बार तो बाढ़ या सूखे की वजह से भी फसल बर्बाद हो जाती है। ऐसी मुश्किलों से जूझ रहे किसानों के लिए मेघराज प्रसाद प्रेरणास्त्रोत बन चुके हैं।
बिहार राज्य के कररिया गांव के निवासी मेघराज प्रसाद ने खस की खेती कर एक मिसाल पेश की है। मेघराज ने बताया कि वे हमेशा से ही कृषि क्षेत्र में कुछ अलग करना चाहते थे। अपने सपने को साकार करने के लिए उन्होंने हिमाचल के एक मित्र से औषधीय पौधों के बारे में जानकारी हासिल की। जहां मित्र से उन्हें खस के बारे में पता चला।
खस की खेती करने के उद्देश्य से उन्होंने लखनऊ के सीमैप रिसर्च सेंटर जाकर ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग के बाद सेंटर से ही 20 हजार रूपए के 10 हजार खस के बीज खरीदे। मेघराज ने बताया कि शुरूआत में उन्होंने सिर्फ एक बीघे में ही खेती की। जहां उन्हें उम्मीद से ज्यादा यानि एक लाख रूपए की आमदनी हुई। इसके बाद उन्होंने 20 बीघे में खेती करके बंपर मुनाफा कमाया। अब आलम यह है कि मेघराज 20 एकड़ जमीन पर खस की खेती कर सलाना 20 लाख की कमाई कर रहे हैं।
मेघराज बताते हैं कि खस को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके अलावा बारिश की अधिकता से भी यह फसल प्रभावित नहीं होती है। कहने का मतलब ये है कि खस की फसल हर विषम परिस्थिति में फलती-फूलती है। इसके साथ ही इस फसल को जानवरों से भी कोई नुकसान नहीं है। ऐसे में खस की खेती के लिए किसान भाईयों को बाढ़, सूखा और जानवरों से कोई डर नहीं है।
बता दें कि खस का उपयोग खासकर इत्र बनाने में किया जाता है। जिस कारण इसकी बाजार में मांग काफी ज्यादा है। वहीं इसके पौधे की जड़ से सुंगधित तेल निकाला जाता है। इसके अलावा खस का प्रयोग साबुन, सुंगधित प्रसाधन सामग्री बनाने में किया जाता है। ऐसे में आप भी खस की खेती के जरिए कम लागत के साथ लाखों रूपए का कमा सकते हैं।
स्रोत: गांव कनेक्शन
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