-
सफ़ेद मक्खी को कपास के खेतों में फैलने से रोकने के लिए खेत की मेड़, बंजर भूमि, सड़क के किनारे और सिंचाई चैनलों/नहरों पर उगने वाले खरपतवारों को हटा दें।
-
सफेद मक्खी का आक्रमण बैंगन, खीरा, टमाटर, भिंडी आदि सब्जियों में भी होता है, इसलिए इन फसलों को कपास के साथ न उगाएं।
-
इन वैकल्पिक धारक फसलों पर फरवरी से और कपास, मूंग पर अप्रैल से नियमित निगरानी की जानी चाहिए ताकि इन फसलों पर सफेद मक्खी का समय पर प्रबंधन किया जा सके।
-
नाइट्रोजन युक्त उर्वरक के अत्यधिक प्रयोग से बचें क्योंकि यह रस चूसक कीड़ों के आक्रमण को बढ़ा देता है।
-
कपास के खेतों में प्रति एकड़ 40 पीले चिपचिपे ट्रैप लगाना सुनिश्चित करें, जिससे सफेद मक्खी के प्रकोप को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
-
नोवासेटा (एसिटामिप्रिड 20% SP) @ 40 ग्राम प्रति एकड़ या नोवाफेन (पाइरीप्रोक्सीफेन 5% + डायफेनथियुरोन 25% SE) @ 400-500 मिली प्रति एकड़ के हिसाब से एक-दो स्प्रे करें।
Shareकृषि क्षेत्र एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें और शेयर करना ना भूलें।