सफ़ेद मक्खी एक रस चूसक कीट है जो कपास की फसल को बहुत नुकसान पहुंचाता है।
कीट की पहचान कैसे करें?
यह मक्खियां सफेद रंग की होती हैं। इनके अंडे सफेद एवं मटमैले रंग के होते हैं। इसके निम्फ हल्के पीले रंग के होते हैं।
जानें इससे होने वाले नुकसान!
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इस कीट के शिशु एवं वयस्क दोनों रूप कपास की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।
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यह कीट पत्तियों के नीचे बैठ कर उनका रस चूसते हैं और पौधे के विकास को प्रभावित करते हैं।
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सफेद मक्खियां पत्तियों का रस चूसती हैं जिससे पत्तियां सिकुड़ जाती हैं और ऊपर की और मुड़ जाती हैं। कुछ समय बाद ये पत्तियां लाल होने लगती हैं।
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अधिक प्रकोप की स्थिति में, कपास की फसल पूर्णतः संक्रमित हो जाती है। फसल की किसी भी अवस्था पर इस कीट का प्रकोप हो सकता है।
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प्रकोप अधिक होने पर, पौधों का विकास रुक जाता है जिससे पैदावार में भारी कमी हो जाती है।
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इसके अलावा सफ़ेद मक्खी, वायरस जनित रोगों को फैलाने का काम भी करती हैं।
प्रबंधन: सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण के लिए, डायफैनथीयुरॉन 50% WP @ 250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामिड 50% WG @ 60 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC @ 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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