कपास की फसल की डेंडू अवस्था में जरूरी है पोषण प्रबध

कपास की फसल में 40-45 दिनों की अवस्था डेंडू बनने की शुरुआती अवस्था होती हैं। इस अवस्था में कपास की फसल को अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इसके लिए उचित पोषक तत्वों का उपयोग कर सकते हैं, जिससे कपास की फसल में डेंडू का निर्माण एवं उत्पादन अच्छा हो एवं किसान को लाभ प्राप्त हो।

इस अवस्था में उर्वरक प्रबधन करने के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग लाभकारी होता है।

  • यूरिया @ 30 किलो + MOP @ 30 किलो + मैग्नीशियम सल्फेट @ 10 किलो/एकड़ की दर से भूमि में मिलाएं।

  • यूरिया: कपास की फसल में, यूरिया नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्त्रोत है। इसके उपयोग से पत्तियों में पीलापन एवं सूखने जैसी समस्या नहीं आती है। यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को भी तेज़ करता है।

  • MOP (पोटाश): पोटाश कपास के पौधे में संश्लेषित शर्करा को पौधे के सभी भागों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पोटाश प्राकृतिक नत्रजन की कार्य क्षमता को बढ़ावा देता है साथ ही पौधों में प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।

  • मैग्नीशियम सल्फेट: इसके उपयोग से कपास की फसल में हरियाली बढ़ती है एवं प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में तेज़ी आती है। अंततः इसकी मदद से उच्च पैदावार तो मिलती ही है साथ ही उत्पादन की गुणवत्ता भी बढ़ती है।

  • इस प्रकार पोषण प्रबधन करने से कपास की फसल में नाइट्रोज़न की पूर्ति बहुत अच्छे से होती है। पोटाश के कारण डेंडु की संख्या और आकार में बढ़ोतरी होती है। मैग्नीशियम सल्फेट सूक्ष्म पोषक तत्व की पूर्ति करता है। इससे स्वस्थ डेंडू का निर्माण होता है और कपास का उत्पादन भी बहुत अधिक होता है।

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