कद्दू वर्गीय फसलों में रस चूसक कीटों का प्रबंधन

  • किसान भाइयों एवं बहनों कद्दू वर्गीय फसलों में मुख्यतः लौकी, करेला, गिलकी, तुरई, कद्दू, परवल, पेठा एवं खीरा आदि इसी वर्ग में आते हैं। 

  • मौसम में हो रहे परिवर्तनों के कारण इन फसलों में रस चूसक कीट जैसे थ्रिप्स, माहू, हरा तेला, मकड़ी, सफेद मक्खी आदि पत्तियों, कोमल बेलों व फूलों का रस चूसकर बहुत नुकसान पहुंचाते है। इनका सही समय पर प्रबंधन आवश्यक है –

  • थ्रिप्स:- प्रोफेनोफोस 50% ईसी @ 500 मिली या एसीफेट 75% एसपी @ 300 ग्राम या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% सीएस @ 200 मिली या फिप्रोनिल 5% एससी @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।  

  • माहू/हरा तेला:- एसीफेट 50 % + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% एसपी @ 400 ग्राम या  एसिटामिप्रीड 20 % एसपी @ 100 ग्राम या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल @ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।   

  • सफेद मक्खी:- डायफैनथीयुरॉन 50% डब्ल्यूपी @ 250 ग्राम या फ्लोनिकामिड 50% डब्ल्यूजी @ 60 ग्राम या एसिटामिप्रीड 20 % एसपी @ 100 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें। 

  • मकड़ी:- प्रॉपरजाइट 57% ईसी @ 400 मिली या स्पाइरोमेसिफेन 22.9% एससी @ 250 मिली या एबामेक्टिन 1.9 % ईसी @ 150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 

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