इन तत्वों की कमी से होते है पशुओं में रोग

कॉपर/तांबा

  • यह ऐसे एंजाइम के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है जो कोशिकाओं की क्षति को रोकते या कम करते हैं।
  • इसकी कमी से पशु की हड्डियों में मज़बूती कम हो जाती हैं जिससे विकृति उत्पन्न होती है।
  • इसकी कमी से बालों का रंग असामान्य हो जाता है जैसे कि लाल गाय का रंग पीला हो जाता है एवं काले रंग की गाय का रंग मटमैला या स्लेटी हो जाता है।

कोबाल्ट

  • कोबाल्ट जुगाली करने वाले पशुओं के लिये अति आवश्यक है क्योंकि यह शरीर में बहुत ही सीमित मात्रा में पाया जाता है।
  • कोबाल्ट की कमी मुख्यत: पशुओं के खाद्य पदार्थों में इसलिये होती है क्योंकि जिस मिट्टी में खाद्य पदार्थों को उगाया गया उस मिट्टी में ही इसकी कमी थी।
  • यह तत्व विटामिन बी12 के संश्लेषण में मदद करता है जिससे लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण एवं वृद्धि में मदद मिलती है।
  • कोबाल्ट की कमी से भूख न लगना, कमजोरी, पाइका, दस्त लगना तथा बांझपन जैसी समस्याएं पशुओं को हो सकती हैं।

जिंक

  • जिंक कई एंजाइम्स के निर्माण में मदद करता है, इसकी कमी से प्रोटीन संश्लेषण में कमी एवं कार्बोहाइड्रेट के उपापचय में बाधा उत्पन्न होने लगती है।
  • इसके अलावा इसकी कमी से त्वचा संबंधी विकार जैसे त्वचा रूखी, कड़ी एवं मोटी हो जाती है।

विटामिन ई एवं सेलेनियम

  • यह पशु के शारीरिक वृद्धि एवं प्रजनन के लिये बहुत ही आवश्यक खनिज है।
  • विटामिन ई एवं सेलेनियम दोनों ही शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं और इसकी कमी के कारण कई रोग हो जाते हैं।

मैगनीज

  • इसकी कमी से पशुओं में गर्भाधान की दर में कमी आ जाती है।
  • इसके अलावा इसकी कमी से हीट में नहीं आना, बांझपन एवं मांसपेशियों में विकृति जैसे रोग भी हो सकते हैं।

आयरन/लौह

  • आयरन दरअसल हिमोग्लोबिन का अच्छा स्त्रोत होता है, और इसकी कमी से नवजात बछड़ें एवं सुअरों में एनीमिया (खून की कमी) हो जाता है।

आयोडीन

  • आयोडजीन थायरॉइड नामक हार्मोन के संश्लेषण के लिये अति आवश्यक है।
  • आयोडीन की कमी से पशुओं में थायरॉइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है।
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