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किसान मित्रों आलू की फसल जब 80 -90 दिन की हो जाती है तो कंद फटने की समस्या मुख्यतः देखी जाती है।
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आलू की फसल में कंद फटने के निम्न कारण होते हैं जैसे – अत्यधिक नाइट्रोजन, खराब मिट्टी की संरचना, बोरॉन की कमी और कम रोपण घनत्व इस विकार के मुख्य कारण हैं। इसके अलावा खेत में अनियमित सिंचाई अर्थात खेत में ज्यादा सिंचाई के बाद में पूरी तरह से सूखने दें एवं अधिक सिंचाई दोबारा करने के कारण भी कंद फटने लगते है।
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कंदो पर कटे निशान, गले हुए धब्बे होने के कारण फफूंदी जनित रोगों एवं कीटों प्रकोप अधिक होने की सम्भावना रहती है।
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फसल उत्पादन का अच्छा बाजार मूल्य प्राप्त करने के लिए आलू अच्छा चमकदार, बड़े आकार का होना चाहिए।
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आलू में अच्छी चमक एवं फटने से रोकने के लिए बोरॉन 500 ग्राम + कैल्शियम नाइट्रेट 1 किलो प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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एक समान सिंचाई और उर्वरकों की सही मात्रा उपयोग करने से कंदों को फटने से रोका जा सकता है।
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जिन क्षेत्रों में यह समस्या हर वर्ष देखने को मिलती है वहाँ धीमी वृद्धि करने वाले किस्मों का उपयोग करें इससे भी इस विकार को कम कर सकते है।
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