आइये जानते हैं साइलेज बनाने की आसान विधि

  • किसान भाइयों साल भर पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए साइलेज एक बहुत अच्छा स्रोत है। इसके लिए दाने वाली फसलें जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, जई आदि को साइलेज बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। 

  • इन फसलों में जब दाने दूधिया अवस्था में हो तब 2-5 सेंटीमीटर के छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। 

  • काटे गए हरे चारे के टुकड़ों को जमीन पर कुछ घंटे के लिए फैला दे ताकि पानी की कुछ मात्रा वाष्पीकृत हो जाए।

  • अब कटे हुए चारे को पहले से तैयार साइलो पिट या साइलेज गड्ढों में डाल दें। 

  • गड्ढे में चारे को पैरों या ट्रैक्टर से अच्छे से दबाकर भरे जिससे चारे के बीच की हवा निकल जाए।

  • गड्ढे को पूरी तरह भरने के बाद उसके ऊपर मोटी पॉलिथीन डालकर अच्छी तरह से सील कर दें। 

  • इसके बाद पॉलीथिन कवर के ऊपर से मिट्टी की लगभग एक फीट मोटी परत चढ़ा दें जिससे हवा अंदर ना जा सके।

  • साइलेज के गड्ढों में भंडारित किए गए हरे चारे के टुकड़ों से साइलेज बनने लगता है, क्योंकि हवा और पानी के न होने से दबाए गए चारे में लैक्टिक अम्ल बनता है, जिस से चारा लंबे समय तक खराब नहीं होता है।

  • चारे की आवश्यकतानुसार गड्ढों को कम से कम 45 दिनों के बाद पशुओं को खिलाने के लिए खोलें।

स्मार्ट कृषि व पशुपालन आदि क्षेत्रों से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

See all tips >>