अब बनिए ऊर्जा उद्यमी: सब्सिडी में लगाएं सोलर प्लांट और कमाएं स्थायी आय

अब तक किसान सोलर पैनल का उपयोग सिर्फ घर की छत या खेतों की सिंचाई के लिए करते आए हैं, लेकिन राजस्थान सरकार ने अब उन्हें एक कदम आगे बढ़ाते हुए ऊर्जा उद्यमी बनने का अवसर दिया है।

पीएम-कुसुम योजना के तहत शुरू की गई इस नई स्कीम में किसान अपनी जमीन पर सोलर पावर प्लांट लगाकर बिजली बना सकते हैं और उसे ग्रिड में बेचकर कमाई कर सकते हैं। इसके लिए राज्य सरकार ने टेंडर जारी किए हैं और किसानों, किसान समूहों व सहकारी संस्थाओं से आवेदन मांगे हैं।

किन्हें मिलेगा लाभ?

जिन किसानों की जमीन किसी बिजली सबस्टेशन के पास है, वे इस योजना के सबसे बड़े लाभार्थी बन सकते हैं। वे 1 मेगावाट या उससे अधिक क्षमता का प्लांट लगाकर सीधा ग्रिड को बिजली सप्लाई कर सकते हैं।

कमाई का फिक्स मॉडल

सरकार ने 3.04 रुपये प्रति यूनिट की दर तय की है, जो 25 वर्षों तक स्थिर रहेगी। यानी एक बार प्लांट लगाकर किसान ढाई दशक तक नियमित और सुनिश्चित कमाई कर सकेंगे।
ज़मीन की ज़रूरत और किराया

1 मेगावाट के सोलर प्लांट के लिए लगभग 1.5 से 2 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी। यदि किसान अपनी जमीन लीज पर देते हैं, तो उन्हें 80,000 से 1,60,000 रुपये प्रति हेक्टेयर सालाना किराया मिलेगा, जिसमें हर दो साल में 5% की बढ़ोतरी भी तय है।
आवेदन प्रक्रिया व शुल्क

योजना में भाग लेने के लिए किसी तकनीकी योग्यता की आवश्यकता नहीं है। आवेदन शुल्क निम्न प्रकार हैं:

  • RISL शुल्क: ₹2,950

  • आवेदन शुल्क: ₹5,000 प्रति मेगावाट

  • EMD: ₹1 लाख प्रति मेगावाट

पीएम-कुसुम योजना क्या है?

प्रधानमंत्री कुसुम योजना का उद्देश्य किसानों को सौर ऊर्जा के प्रति प्रोत्साहित करना है। इससे डीजल व बिजली से चलने वाले पंपों की जगह सोलर पंप उपयोग में लाए जा रहे हैं। इसका लाभ किसानों की लागत घटाने, पर्यावरण को सुरक्षित रखने और देश में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के रूप में सामने आ रहा है।

स्रोत: कृषि जागरण

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