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कंद सदन रोग की वजह से अदरक की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान होता है।
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इस संक्रमण की शुरुआती अवस्था में पत्तियों का मध्य भाग हरा रहता है जबकि किनारे से पत्तियां पीली होने लगती है। बाद में यह पीलापन सभी पत्तियों तक फैल जाता है। संक्रमित पौधों को आसानी से मिट्टी से बाहर निकाला जा सकता है।
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यह संक्रमण स्यूडो स्टेम के कॉलर क्षेत्र से शुरू होता है और ऊपर तथा नीचे दोनों ओर बढ़ता है। प्रभावित स्यूडो स्टेम्स का कॉलर क्षेत्र पानी से लथपथ हो जाता है और सड़न प्रकंद में फैल जाता है।
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प्रबंधन: यह बीज जनित बीमारी है, बुवाई से पूर्व स्वस्थ प्रकंद का उपयोग सबसे महत्वपूर्ण निवारक उपायों में से एक है।
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अप्रैल महीने के दौरान जल्दी रोपण की योजना बनाएं एवं खेत में जलभराव से बचें।
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रोगग्रस्त भागों को इकट्ठा करें और उन्हें कही दूर मिट्टी में गाड़ दें या जला दें।
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इसके उपचार के लिए मेटालैक्सिल 4% + मैनकोज़ेब 64% WP@ 600 ग्राम या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 400 ग्राम प्रति एकड़ ड्रेंचिंग करें।
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जैविक प्रबंधन के लिए ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 1 किलो प्रति एकड़ का उपयोग कर सकते हैं l
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