Importance of Zinc

  • भारत की कृषि योग्य भूमि में 50% तक ज़िंक की कमी पाई जाती हैं जो की 2025 तक 63% तक हो जाएगी|
  • अध्ययनो से पता चला हैं की ज़िंक की कमी मिट्टी में होने पर उस मिट्टी में उत्पादित फसलों में भी ज़िंक की कमी होती हैं (IZAI) के अनुसार भारत की 25% जनसंख्या में ज़िंक की कमी हैं |
  • भारत में, जिंक (Zn) को फसल उपज की कमी के लिए चौथा सबसे महत्वपूर्ण तत्व माना जाता हैं | यह आठ आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक हैं।
  • ज़िंक की कमी से फसल की पैदावार और गुणवत्ता में बहुत हद तक कमी आ सकती हैं। ऐसा देखा गया हैं की पौधों में ज़िंक की कमी के लक्षण दिखने के पहले ही फसल की उपज में 20% तक कमी आ जाती हैं |
  • जिंक पौधे के विकास के लिए अहम् होता है| यह पौधों में, कई एंजाइमों और प्रोटीनों का एक प्रमुख घटक है। इसके साथ साथ ज़िंक पौधों के विकास सम्बन्धी हार्मोन का उत्पादन भी करता हैं परिणाम स्वरुप इंटर्नोड का आकर बढ़ता हैं।
  • इसकी कमी प्रायः क्षारीय, पथरीली मिट्टी में होती हैं।
  • नई पत्तियाँ छोटे आकार की एवं शिराओं के मध्य का हिस्सा चितकबरे रंग का हो जाता हैं।
  • भूमि में जिंक सल्फेट 20 किलो ग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करके इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता हैं।

 

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Importance of Microbes in Soil (ZnSB )

  1. भारत की कृषि योग्य भूमि में 50% तक ज़िंक की कमी पाई जाती हैं जो की 2025 तक 63% तक हो जाएगी|
  2. जिंक एक अनिवार्य सुक्ष्म पोषक तत्व है जो पौधों के विकास के लिए आवश्यक हैं। परन्तु यह मिट्टी में अनुपलब्ध रूप में रहता हैं जिसे पौधे आसानी से उपयोग नहीं कर पाते |
  3. यह जीवाणु पौधों को जिंक उपलब्ध करवाते हैं परिणामस्वरूप धान में ‘खैरा रोग’ का नियंत्रण करते हैं, फसल की उपज और गुणवत्ता की वृद्धि में सहायक होते हैं, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार और हार्मोन की सक्रियता को बढ़ाते हैं और प्रकाश संश्लेषण की गतिविधि को भी बढ़ाते हैं।
  4. जिंक घोलने वाले जीवाणु मिट्टी में कार्बनिक अम्ल उत्पन्न करते हैं जिससे अघुलनशील जिंक (जिंक सल्फाइड, जिंक ऑक्साइड और जिंक कार्बोनेट), Zn+ (पौधों के लिए उपलब्ध रूप ) में बदल जाता हैं इसके अलावा ये मिट्टी के pH का संतुलन बनाए रखते हैं।
  5. जिंक घुलनशील जीवाणु 2 किलो/ एकड़ की दर से 50 किलो अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद में मिला कर खेत में बुरकाव करे |

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Importance of Zinc solubilizing bacteria

ज़िंक घुलनशील बेक्टेरिया प्राकृतिक उपलब्ध लाभकारी बेक्टेरिया हैं जो जमीन में मौजूद अकार्बनिक ज़िंक को कार्बनिक एसीड के जरिये घुलनशील और उपलब्ध रूप में बदलते हैं जिससे पौधों की वृध्दि में मदद मिलती हैं|

  • इसका उपयोग ज़िंक की कमी के कारण होनी वाले रोगों जैसे:- धान का खैरा रोग में और कुछ अन्य फसलों जैसे टमाटर, प्याज, गेहु, भिन्डी आदि में विशेष रूप किया जाता हैं|
  • इससे फसल की उपज एवं गुणवत्ता बढ़ती हैं|
  • हार्मोन्स गतिविधियों को बढ़ाता हैं|
  • पौध एवं जड़ों की वृध्दि को बढ़ाता हैं |
  • प्रकाश संश्लेषण को बढ़ाता हैं |
  • मिट्टी में बेक्टेरिया होने से मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाती हैं|

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Role of zinc in Plants

पौधों में जिंक की भूमिका:- जिंक(जस्ता), आठ आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक और कई एंजाइमों और प्रोटीन का एक महत्वपूर्ण घटक है, केवल कम मात्रा में पौधों द्वारा आवश्यक है। इसलिए, पौधे के विकास के लिए यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बहुत सी प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जिंक की कमी के प्रभाव से 40% तक उपज कम हो सकती है किसान को आर्थिक नुक्सान होता है और आय में कमी होती है|

जिंक के कार्य :- जस्ता कुछ प्रोटीनों के संश्लेषण के लिए जिम्मेदार एंजाइमों को सक्रिय करता है| इसका उपयोग क्लोरोफिल और कुछ कार्बोहाइड्रेट के गठन में किया जाता है, स्टार्च का शर्करा में रूपांतरण होता है और पौधे के ऊतकों में इसकी उपस्थिति के कारण पौधे ठंडे तापमान में भी खड़े रहते है | ऑक्सिंस के गठन में जस्ता आवश्यक है, जो विकास विनियमन और तने के बढ़ाव में मदद करते हैं।

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