जीरो बजट खेती अपनाएं, कम लागत में अधिक उत्पादन पाएं

👉🏻किसान भाइयों जीरो बजट खेती एक प्रकार से प्राकृतिक खेती होती है।

👉🏻यह खेती देसी गाय के गोबर एवं गोमूत्र पर निर्भर होती है।

👉🏻इस विधि से खेती करने वाले किसान को बाजार से किसी प्रकार की खाद और कीटनाशक, रसायन खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती। 

👉🏻इसमें रासायनिक खाद के स्थान पर किसान गोबर से तैयार की हुई खाद बनाते हैं। 

👉🏻देसी गाय के गोबर एवं मूत्र से जीवामृत तथा घनजीवामृत बनाया जाता है।

👉🏻इनका खेत में उपयोग करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ-साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है। 

👉🏻जीवामृत का महीने में एक अथवा दो बार खेत में छिड़काव किया जा सकता है। साथ ही जीवामृत का इस्तेमाल बीजों को उपचारित करने में भी किया जा सकता है।

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क्या होती गोबर और गोमूत्र की मदद से की जाने वाली जीरो बजट खेती?

zero budget farming
  • जीरो बजट खेती एक प्रकार से प्राकृतिक खेती होती है।

  • यह खेती देसी गाय के गोबर एवं गोमूत्र पर निर्भर होती है।

  • इस विधि से खेती करने वाले किसान को बाजार से किसी प्रकार की खाद और कीटनाशक रसायन खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है।

  • इसमें रासायनिक खाद के स्थान पर किसान गोबर से तैयार की हुई खाद बनाते हैं।

  • देसी प्रजाति के गाय के गोबर एवं मूत्र से जीवामृत तथा घनजीवामृत बनाया जाता है।

  • इनका खेत में उपयोग करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की वृद्धि के साथ-साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है।

  • जीवामृत का महीने में एक अथवा दो बार खेत में छिड़काव किया जा सकता है।

  • जबकि जीवामृत का इस्तेमाल बीजों को उपचारित करने में कि जा सकता है।

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