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वर्तमान समय में सोयाबीन की फसल में पीलेपन की समस्या काफी देखने को मिल रही है।
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सोयाबीन के पत्तों का पीलापन, सफ़ेद मक्खी के कारण होने वाले वायरस रोग एवं मिट्टी के पीएच, पोषक तत्वों की कमी, कवक जनित बीमारियों, सहित कई कारकों के कारण हो सकता है।
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इन्हीं सभी कारकों के आधार पर, सोयाबीन की फसल एवं उपज को, कोई नुकसान पहुँचाए बिना प्रबंधन करना बहुत आवश्यक है।
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सोयाबीन की फसल में नए एवं पुराने पत्ते और कभी-कभी सभी पत्ते हल्के हरे रंग या पीले रंग के हो जाते हैं। इसके कारन टॉप पर क्लोरोटिक हो जाती है एवं गंभीर तनाव में पत्तियां मर भी जाती हैं। कभी कभी पूरे खेत में फसल पर पीलापन दिखाई दे सकता है।
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इस समस्या में कवक जनित रोगों के समाधान लिए टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG @ 500 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़, हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ का छिड़काव किया जा सकता है।
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जैविक उपचार में, ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए 00:52:34 को एक किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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कीट प्रकोप के कारण यदि पीलापन हो तो एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 25% WG @ 100 ग्राम/एकड़ या फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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