- करेले में विषाणुजनित रोग आम तौर पर सफेद मक्खी तथा एफिड से होता है।
- इस रोग में सामन्यतः पत्तियों पर अनियमित हल्की व गहरी हरी एवं पीली धारियां या धब्बे दिखाई देते हैं।
- पत्तियों में घुमाव, अवरुद्ध, सिकुड़न एवं पत्तियों की शिराएं गहरी हरी या पीली हल्की हो जाती हैं।
- पौधा छोटा रह जाता है और फल फूल कम लगते है या झड़ कर गिर जाते हैं।
- रोग से बचाव के लिए सफेद मक्खी और एफिड को नियंत्रित करना चाहिए।
- इस प्रकार के कीटों की रक्षा हेतु 10-15 दिन के अंतराल पर एसिटामिप्रिड 20% एसपी @ 40 ग्राम/एकड़ और स्ट्रेप्टोमाईसीन 20 ग्राम 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें या
- डाइफेनथूरोंन 100 ग्राम के साथ स्ट्रेप्टोमाईसीन 20 ग्राम 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।