Vaccination For Dairy Animals

दुधारू पशुओ के लिए टीकाकरण:-

टीकाकरण  पशुओं के रोग के प्रति, प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है साथ ही उन्हे विभिन्न रोगकारक जैसे जीवाणु, विषाणु, परजीवी, प्रोटोजोआ तथा कवक के संक्रमण से लडऩे के लिए शरीर को तैयार करता है ।

क्र. रोग का नाम पहली खुराक पर आयु अनुवर्धक खुराक बाद की खुराक
1 खुरपका  मुहपका (एफएमडी) 4 महीने या उसके  ऊपर पहली खुराक के बाद 1 महीने छह माह
2 रक्तस्रावी
सेप्टिसिमीया (एचएस)
6 महीने  या उसके ऊपर सालाना या प्रकोप होने की सम्भावना पर
3 ब्लैक क्वार्टर (बी क्यू) 6 महीने  या उसके ऊपर सालाना या प्रकोप होने की सम्भावना पर
4 ब्रूसीलोसिस 4-8 महीने की आयु
(केवल मादा बछड़े)
जीवन में एक बार
5 थेइलेरिओसिस (Theileriosis) 3 महीने या उससे ऊपर जीवन में एक बार। केवल क्रॉसब्रीड और विदेशी मवेशियों के लिए आवश्यक है।
6 एंथ्रेक्स 4 महीने या ऊपर सालाना या प्रकोप होने की सम्भावना पर
7 आई .बी आर (IBR) 3 महीने  या उसके ऊपर -पहली खुराक के बाद 1 महीने छह मासिक (वर्तमान में भारत में टीका नहीं बनाई गई)
8 रेबीज (केवल काटने के बाद  ) काटने के तुरंत बाद चौथे  दिन पहली खुराक के 7 वे 14 वे 28वे एवं 90 वे दिन पर

मुख्य तथ्य

  • टीकाकरण के समय जानवरों का स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिए।
  • उन जानवरों का टीका न करें जो पहले से ही किसी कारण से तनाव में हैं जैसे खराब मौसम की वजह से, चारा और पानी की कमी, रोग के प्रकोप से, परिवहन के बाद आदि|
  • टीकाकरण के एक से दो सप्ताह पहले पशुओं की डी -वार्मिंग करे  ।
  • पशु चिकित्सा या विशेषज्ञों की टीकाकरण सम्बन्धी सलाह का सख्ती से पालन करें।
  • टीकाकरण कंपनी, बैच संख्या, समाप्ति तिथि, खुराक आदि का रिकॉर्ड रखें।
  • टीकाकरण के बाद जानवरों के लिए तनाव मुक्त वातावरण बनाएँ।

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