मूंग की फसल में खरपतवार प्रबंधन कैसे करें?

How to manage weed in moong crop?
  • मूंग प्रमुख दलहनी फसलों में शामिल है एवं कम समय में अच्छा उत्पादन देने वाली फसल है।
  • मध्य प्रदेश के कई जिले में मूंग की खेती बहुत बड़े पैमाने पर की जाती है।
  • मूंग की बुआई के बाद लगभग 20 से 30 दिन तक किसान को खरपतवारों पर खास ध्यान देना चाहिए।
  • ऐसा इसलिए क्योंकि शुरुआती दौर में खरपतवार फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।
  • मूंग की फसल में किसान पेन्डीमिथालीन 38.7 CS@ 700 मिली/एकड़ की दर से पूर्व उद्भव खरपतवारनाशी के रूप में उपयोग करें।
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मूंग की फसल में राइज़ोबियम कल्चर का महत्व

Importance of Rhizobium culture in Moong crop
  • मूंग की जडों की ग्रंथिकाओं में राइज़ोबियम नामक जीवाणु पाया जाता है जो वायुमंडलीय नत्रजन का स्थिरीकरण कर फसल की उपज बढ़ाता है।
  • राइज़ोबियम कल्चर के इस्तेमाल से दलहनी फ़सलों की जड़ों में तेजी से गांठे बनती है जिससे मूंग, चना, अरहर व उड़द की उपज में 20-30 फीसदी व सोयाबीन की उपज में 50-60 फीसदी तक का इज़ाफा होता है।
  • राइजोबियम कल्चर के प्रयोग से भूमि में लगभग 30-40 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर तक बढ़ जाती है।
  • राइजोबियम कल्चर 5 से 10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचार तथा मिट्टी के उपचार बुआई पूर्व के लिए 1 किलो/एकड़ प्रति 50 किलो गोबर खाद में मिलाकर किया जाता है।
  • दलहनी फ़सलों की जड़ों में मौजूद राइजोबियम जीवाणुओं द्वारा जमा की गई नाइट्रोजन अगली फसल में इस्तेमाल हो जाती है, जिससे अगली फसल में भी नत्रजन कम देने की आवश्यकता होती है।
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मूंग की उन्नत किस्मों की जानकारी

Information of improved varieties of Moong bean

शक्तिवर्धक विराट: मूंग की यह किस्म 70-80 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। इसका पौधा सीधा, सख्त, कम बढ़ने वाला होता है और इसकी फली में 10-12 दाने होते हैं। यह उन्नत किस्म ग्रीष्म व खरीफ दोनों मौसम में बिजाई के लिए उपयुक्त होती है।

मूंग अवस्थी सम्राट: यह उन्नत किस्म ग्रीष्म व खरीफ दोनों मौसम में बिजाई के लिए उपयुक्त होती है। मूंग की यह किस्म 70-80 दिनों में अच्छी उपज देती है।

ईगल मूंग: यह किस्म पीडीएम-139 नाम से भी जानी जाती है जो 55-60 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। इसकी उपज 12-15 क़्वींटल प्रति हैक्टर होती है। यह किस्म पीले मौजेक वायरस के प्रति मध्यम प्रतिरोधक क्षमता रखती है। यह उन्नत किस्म ग्रीष्म मौसम में बिजाई के लिए उपयुक्त होती है।

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भूमि व बीज उपचार से बढ़ाएं जायद मूंग की पैदावार

भूमि उपचार: मूंग की फसल हेतु कृषि प्रक्रिया आरंभ करने से पहले भूमि उपचार अति आवश्यक है। इससे भूमि में उपस्थित हानिकारक कीट व कवकों को नष्ट किया जा सके। 

6-8 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में 4 किलो कम्पोस्टिंग बैक्टीरिया और 1 किलो ट्राइकोडरमा विरिडी मिला कर एक एकड़ खेत में बिखेर दे।

बीज उपचार: मूंग की बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए बीज उपचार बहुत फ़ायदेमंद होता है। इससे हानिकारक कवकों व रस चूसक कीट से बचाव हो जाती है। 

मूंग के बीजो में (1) 2.5 ग्राम कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% DS  या 5-10 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी/स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस तथा 5 मिली इमिडाक्लोप्रिड 48 FS प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।

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